कोरोना का असर: कंपनियों में कितनी कटी सैलरी, कहां टला इंक्रिमेंट जानिए

कोलकाता कोरोना वायरस महामारी (Covid-19 pandemic) ने इकॉनमी पर किस कदर असर डाला है, इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि कम से कम 30 फीसदी कंपनियों ने अपने स्टाफ की सैलरी में कटौती की है। Deloiite Touche Tohmatsu India LLP के एक सर्वे में यह बात सामने आई है। इसमें शामिल कंपनियों में से एक तिहाई ने कहा कि वे इस साल अपने कर्मचारियों को कोई इंक्रिमेंट नहीं देंगी। 27 फीसदी कंपनियों ने अभी तक इस बारे में कोई फैसला नहीं किया है जबकि 30 फीसदी कंपनियों ने अपने कर्मचारियों के वेतन में कटौती की है। यह कटौती उन सेक्टरों में अधिक है जहां कोविड-19 के कारण कंपनियों का रेवेन्यू बुरी तरह प्रभावित हुआ है। इसमें सर्विसेज और मैन्युफैक्चरिंग पर सबसे अधिक मार पड़ी है। दूसरी ओर लाइफ साइंसेज और आईटी इनेब्ड सर्विसेज (ITeS) ने ज्यादा इंक्रिमेंट दिया है और सैलरी में कम कटौती की है। कंपनियों ने ज्यादातर टॉप और सीनियर मैनेजमेंट स्टाफ की सैलरी में कटौती की है। टॉप मैनेजमेंट के फिक्स्ड कंपनसेशन में औसतन 22.5 फीसदी की कटौती की गई है। कुछ कंपनियों ने लोअर मैनेजमेंट स्तर पर इंक्रिमेंट दिया है और टॉप तथा सीनियर लेवल के अधिकारियों की सैलरी में कटौती की है। कितने समय तक रहेगी कटौतीहर तीन में से दो कंपनियों ने एक महीने से नौ महीने तक वेतन कटौती की है। 33 फीसदी कंपनियों ने कोई तय समयसीमा निर्धारित नहीं की है। सर्वे में यह बात भी सामने आई है कि सभी सेक्टरों में वास्तविक इन्क्रिमेंट 6 महीने पहले के अनुमानों से कम रहा है। 2020 में किसी भी इंडस्ट्री का इन्क्रिमेंट दोहरे अंकों में नहीं रहा। इस सर्वे के 2019 के मुकाबले 2020 में एवरेज इंक्रिमेंट में काफी गिरावट आई है। 2019 में एवरेज इंक्रिमेंट करीब 8.6 फीसदी था जो घटकर 3.6 फीसदी पर पहुंच गया है। खास बात यह है कि इस साल केवल 40 फीसदी कंपनियां इंक्रिमेंट दे रही हैं। सैलरी हाइक को प्रभावित करने वाले दो अहम फैक्टर - इंक्रिमेंट का टाइमिंग और कोविड-19 का संभावित असर। जिन कंपनियों ने मार्च में लॉकडाउन से पहले ही इंक्रिमेंट का फैसला कर लिया था, उन्होंने दूसरी कंपनियों की तुलना में अपने कर्मचारियों का ज्यादा पैसा बढ़ाया है। जिन कंपनियों को कोरोना के कारण वित्त वर्ष 2021 में रेवेन्यू में 20 फीसदी से अधिक नुकसान की आशंका है, उन्होंने कम इंक्रिमेंट दिया है। Deloitte India में पार्टनर आनंदरूप घोष ने कहा, इस साल संभवतः अब तक का सबसे कम इन्क्रिमेंट हुआ है। यहां तक कि 2009 की मंदी में भी 5 फीसदी से अधिक इन्क्रिमेंट हुआ था। सर्वे में शामिल कंपनियों में 40 फीसदी ने इस साल इन्क्रिमेंट किया है। 33 फीसदी कंपनियों ने कहा कि वह इस साल किसी भी कीमत पर इन्क्रिमेंट नहीं देने जा रही हैं। बाकी कंपनियां फिलहाल हालात के सुधरने का इंतजार कर रही हैं। उनका फैसला क्लियर नहीं है।


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