नई दिल्ली आज पीएम मोदी ने मन की बात में खिलौनों का जिक्र किया। उन्होंने लोकल खिलौनों के लिए वोकल होने की बात कही। यानी उन्होंने लोगों से अपील की है वह लोकल खिलौने खरीदें और साथ ही दूसरों को भी उनके बारे में बताएं। उन्होंने कहा कि आत्मनिर्भर भारत के लिए मिलकर खिलौने बनाएं। दरअसल, चीन के साथ रिश्ते खराब होने के चलते वहां से खिलौने आना बंद हो रहे हैं। लोग भी चीन में बने सामानों का बहिष्कार करने का मन बना चुके हैं। ऐसे में खिलौना उद्योग में खूब मौके हैं। आइए जानते हैं पीएम मोदी ने खिलौना उद्योग के लिए क्या कहा। खिलौना उद्योग पर ये बोले पीएम मोदी पीएम ने कहा कि खिलौने एक्टिविटी बढ़ाते हैं मन बहलाते हैं। खिलौनों के सम्बन्ध में गुरुदेव रवीन्द्रनाथ टैगोर ने कहा था कि best Toy वो होता है जो Incomplete यानी अधूरा होता है। यानी ऐसा खिलौना, जो अधूरा हो और बच्चे मिलकर खेल-खेल में उसे पूरा करें। पीएम ने कहा कि भारत में लोकल खिलौनों की बहुत समृद्ध परंपरा रही है। कई प्रतिभाशाली और कुशल कारीगर हैं, जो अच्छे खिलौने बनाने में महारत रखते हैं। यहां तक कि भारत के कुछ इलाके Toy Clusters यानी खिलौनों के केन्द्र के रूप में भी विकसित होने लगे हैं जैसे, कर्नाटक के रामनगर में चन्नापटना, आंध्र प्रदेश के कृष्णा में कोंडापल्ली, तमिलनाडु में तंजौर, असम में धुबरी, उत्तर प्रदेश का वाराणसी और ऐसे ही कई अन्य स्थान हैं। खिलौने से पीएम ने साधे कई निशाने पीएम ने भारत में खिलौना उद्योग को प्रोत्साहन देने का काम कर के एक तीर से कई निशाने साधे हैं। एक तो लोकल खिलौनों से आत्मनिर्भर भारत, वोकल फॉर लोकल और मेक इन इंडिया को बढ़ावा मिलेगा। दूसरा इससे बहुत सारे लोगों के लिए रोजगार के मौके पैदा होंगे। तीसरा चीन को झटका लगेगा और उस पर हमारी निर्भरता घटेगी, जहां से बहुत सारे खिलौने आयात किए जाते हैं। इतना ही नहीं, लोग इस ओर प्रोत्साहित होकर काम शुरू करेंगे तो बाजार चलेगा, जिससे पैसे का सर्कुलेशन शुरू होगा और अर्थव्यवस्था का पहिया रफ्तार पकड़ने लगेगा। कोरोना काल में डूब रही अर्थव्यवस्था को आगे बढ़ाने के लिए ऐसे कदमों की बहुत जरूरत है। भारत का खिलौना कारोबार कितना बड़ा? एक मार्केट रिसर्च फर्म आईएमएआरसी के अनुसार भारत में खिलौनों का करीब 10 हजार करोड़ रुपये का कारोबार होता है। इसमें से संगठित खिलौना बाजार 3.5-4.5 हजार करोड़ का है। यहां बताते चलें कि भारत में अभी भी 80 फीसदी से अधिक खिलौने चीन से आते हैं। ऐसे में चीन से निर्भरता हटाने पर और लोकल को वोकल करने से खिलौना उद्योग में बहुत सारे अवसर खुलेंगे। यह भी दिलचस्प है कि खिलौना उद्योग करीब 15 फीसदी की सालाना दर से बढ़ रहा है, जिसमें लोकल फॉर वोकल होने पर तगड़ी तेजी देखी जा सकती है।
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