नई दिल्ली ग्रामीण अर्थव्यवस्था के लिए एक अच्छी खबर सामने आ रही है। भारत में इस साल कोरोना वायरस महामारी और कुछ इलाकों में बाढ़ जैसे हालात के बावजूद खरीफ की फसल का रकबा अब तक का सबसे अधिक रहा है। इससे अनुमान लगाया जा रहा है कि एग्रिकल्चर सेक्टर में ग्रोथ जारी रहेगी, जबकि देश की जीडीपी लगातार सिकुड़ती जा रही है। बता दें कि एग्रिकल्चर सेक्टर लॉकडाउन से मुक्त रहा है। शुक्रवार तक के हिसाब से खरीफ की फसल का कुल रकबा 1082 लाख हेक्टेयर रहा, जो पिछले साल इसी दौरान 1010 लाख हेक्टेयर था। यानी इस बार फसल के रकबे में 7 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है। ये बढ़ोतरी धान, तिलहन और दालों की फसलें बढ़ने से हुई है। तिलहन-कॉटन का रकबा 5 साल में सबसे अधिक तिलहन की 193 लाख हेक्टेयर और कॉटन की 128 लाख हेक्टेयर खेती हुई है, जो पिछले 5 सालों में सबसे अधिक है। लॉकडाउन के दौरान फूड कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया ने एक बड़ा ऑपरेशन शुरू किया था, ताकि फसलों का संरक्षण किया जा सके और किसानों को उनका भुगतान मुहैया कराया जा सके। अच्छी बारिश ने किसानों को किया खुश इस बार के रकबे ने एक बड़ा रेकॉर्ड बनाया है, जिसने इससे पहले 2016 में रेकॉर्ड बनाया था। 2016 में कुल 1075 लाख हेक्टेयर खेती हुई थी। पिछले 5 सालों में भारत का औसत रकबा 1066 लाख हेक्टेयर रहा है। बढ़े हुए रकबे की सबसे बड़ी वजह है अच्छा मानसून यानी अच्छी बारिश। लॉकडाउन में मिली छूट से चमका एग्रिकल्चर सेक्टर एग्रिकल्चर मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर का कहना है कि लॉकडाउन के दौरान एग्रिकल्चर सेक्टर को दी गई छूट ने किसानों की काफी मदद की। इस वजह से पहले तो उन्हें रबी की फसल की कटाई में राहत मिली और फिर खरीब की फसल की बुवाई भी आसान हो गई।
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