Work From Home: भारत में घर से काम करना क्यों है मुश्किल?

नई दिल्ली छह महीने पहले जब कोरोना वायरस (Covid-19) ने दुनिया के कई देशों को अपनी चपेट में लेना शुरू किया था तो लोगों ने आनन-फानन में घर से काम () करना शुरू कर दिया। लेकिन घर से काम करना हर किसी के लिए आसान नहीं है। यह इस बात पर भी निर्भर करता है कि आप क्या काम करते हैं। वर्ल्ड बैंक की एक रिपोर्ट के मुताबिक देश का इकॉनमिक डेवलपमेंट का स्तर और इंटरनेट तक पहुंच से यह बात तय होती है कि घर से काम करना कितना सुविधाजनक है। मिडल और कम आय वाले अभी देश घर से काम के लिए तैयार नहीं हैं लेकिन खासतौर पर भारतीय कामगारों के लिए स्थितियां बहुत अच्छी नहीं हैं। रिपोर्ट के मुताबिक घर से काम करने के अनुकूल नौकरी (WFH Friendly jobs) का चांस व्यक्तिगत आय के साथ बढ़ता है। लेकिन भारत में ऐसा नहीं है। इसके लिए लेबर मार्केट की अस्थिरता और सीमित इंटरनेट एक्सेस जिम्मेदार है। भारत में टॉप 10 परसेंट इनकम ब्रैकेट में डब्ल्यूएफएच फ्रेंडली जॉब का चांस 19 फीसदी है जो न्यूनतम आय ब्रैकेट में 1 फीसदी से भी कम है। ब्राजील में 10 फीसदी टॉप इनकम ब्रैकेट में यह करीब 60 परसेंट है जबकि न्यूनतम आय ब्रैकेट में 10 फीसदी के आसपास है। इंटरनेट की समस्याइसी तरह एजुकेशन बढ़ने के साथ डब्ल्यूएफएच फ्रेंडली जॉब का चांस बढ़ता है लेकिन भारत में यह बढ़त सबसे कम है। इसकी वजह यह है कि बहुत कम ऐसे जॉब हैं जो घर से किए जा सकते हैं। दिलचस्प बात है कि इस रिपोर्ट में खेती किसानी को भी डब्ल्यूएफएच जॉब माना गया है लेकिन लेखकों का कहना है कि इस काम में लगे सभी लोगों को पूरी तरह होम बेस्ड नहीं माना जा सकता है। इंटरनेट यूजर्स के मामले में भारत चीन के बाद दूसरे नंबर पर है। लेकिन 2018 के आंकड़ों के मुताबिक देश में इंटरनेट का इस्तेमाल करने वालों की आबादी कुल जनसंख्या के हिसाब से बहुत कम है। अलग-अलग राज्यों में इंटरनेट एक्सेस का स्तर भी अलग-अलग है। गरीब देशों में कितने काम घर सेरिपोर्ट में कहा गया है कि विकसित देशों में हर तीसरा काम घर से किया जा सकता है। लेकिन गरीब देशों में 100 में से केवल 4 काम ही घर से किए जा सकते हैं। घर से किए जा सकने वाले कामों में बेहतर सैलरी मिलती है लेकिन विकासशील देशों में इनकी कमी है। इसकी वजह केवल खराब इंटरनेट एक्सेस ही नहीं है लेकिन इस तरह के जॉब इनफॉरमेशन और कम्युनिकेशन टेक्नोलॉजीज पर निर्भर होते हैं जो इकॉनमिक ग्रोथ के साथ बढ़ते हैं। कम और मध्यम आय वाले देशों में 15 फीसदी से कम जॉब्स घर से किए जा सकते हैं। लेकिन कई कामगार ऐसा नहीं करते हैं क्योंकि उनके पास घर में इंटरनेट एक्सेस नहीं है। दूसरी ओर विकसित देशों में 37 फीसदी काम घर से किए जा सकते हैं और इंटरनेट एक्सेस के अभाव में कुछ ही लोग ऐसा नहीं कर पाते हैं। अमीर देशों में बढ़ेगी असमानतारिपोर्ट में कहा गया है कि कोविड के कारण जो आर्थिक संकट आया है, उसका समाधान वर्क फ्रॉम होम नहीं है। इससे अमीर देशों में असमानता बढ़ सकती है क्योंकि इस तरह कै काम अमूमन हाई इनकम वर्कर्स के पास है। गरीब देशों में वर्क फ्रॉम होम के कारण कई नौकरियों का बच पाना मुश्किल है क्योंकि कुछ हो कामगार इस तरह अपना काम जारी रख पाएंगे।


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