नयी दिल्ली, 30 अगस्त (भाषा) सरकार के देश को तिलहन उत्पादन में आत्मनिर्भरता हासिल करने के आह्वान के बीच स्थानीय तेल-तिलहन उत्पादकों में उत्साह दिखा तथा देशी तेलों की मांग बढ़ने कारण दिल्ली तेल-तिलहन बाजार में बीते सप्ताह सरसों, सोयाबीन तेल-तिलहनों की कीमतों में सुधार आया। भाव ऊंचा बोले जाने से पाम एवं पामोलीन तेल कीमतें भी मजबूत हुईं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने झांसी में रानी लक्ष्मीबाई केन्द्रीय विश्वविद्यालय के कॉलेज एवं प्रशासनिक भवन के उद्घाटन के दौरान शनिवार को युवा कृषि वैज्ञानिकों से देश को तेल-तिलहन उत्पादन में आत्मनिर्भरता की राह पर ले जाने की अपील की जिससे इसकी खेती करने वाले किसानों और तेल उद्योग में कारोबारी उत्साह दिखा। कारोबारियों ने उम्मीद जताई है कि इससे देशी तेल-तिलहनों के भाव आगे और मजबूत हो सकते हैं। बाजार सूत्रों ने कहा कि मलेशिया में कच्चे पामतेल का भारी स्टॉक जमा है तथा अर्जेन्टीना के अलावा रूस और तुर्की से भी सोयाबीन डीगम का आयात बढ़ रहा है। हालांकि, पाम तेल की वैश्विक मांग नहीं है लेकिन इसके भाव ऊंचा बोले जा रहे हैं जिसके कारण समीक्षाधीन सप्ताहांत में पाम एवं पामोलीन तेल कीमतों में सुधार दर्ज हुआ। विदेशी बाजारों में पॉल्ट्री उद्योग के लिए सोयाबीन खली की, विशेषकर तेल रहित खल (डीओसी) की मांग बढ़ी है जिससे डीओसी की कीमत में बीते सप्ताह 300-400 रुपये प्रति क्विन्टल की तेजी आई। इस तेजी का असर सोयाबीन तेल कीमतों पर भी दिखा और समीक्षाधीन सप्ताहांत में सोयाबीन दिल्ली, इंदौर और सोयाबीन डीगम की कीमतों में सुधार का रुख दिखा। देश में पाम और सोयाबीन डीगम का भारी मात्रा में सस्ता आयात हो रहा है। लेकिन देशी तेलों की खपत भी बढ़ी है जहां विशेषकर सरसों, मूंगफली और तिल कोई विकल्प भी नहीं है। ज्यादातर घरेलू उपयोग इन्हीं तेलों का होता है और पाम की ज्यादातर मांग कारोबारियों की होती है। स्थानीय मांग बढ़ने से मूंगफली दाना सहित इसके तेल की कीमतों में लाभ दर्ज हुआ।देश में प्रतिमाह 12 लाख टन खाद्य तेल को आयात करने की आवश्यकता होती है जबकि आयात लगभग 15 लाख टन का हो रहा है। बैंकों में अपने साख पत्र (लेटर आफ क्रेडिट) को चलाते रहने के लिए कुछ देशी आयातक बैंकों के ऋण के बल पर विदेशों से महंगे दाम में पामतेल की खरीद कर देश के बाजार में इसे बेपरता यानी कम कीमत पर बेच रहे हैं। पामतेल में सुधार दिखने का यह एक महत्वपूर्ण कारण है। सूत्रों ने कहा कि बेपरता कारोबार से केवल बैंक के पैसे डूबते हैं, देश को विदेशी मुद्रा की हानि होती है और देशी तेल मिलों और किसानों को भारी नुकसान उठाना होता है।प्रधानमंत्री ने शनिवार को रानी लक्ष्मीबाई केन्द्रीय कृषि विश्वविद्यालय के युवा वैज्ञानिकों से कहा कि जिस देश में ज्यादातर किसान हों, उसे खाद्य तेल आयात के लिए लगभग 75,000 करोड़ रुपये खर्च करना पड़े, यह स्थिति ठीक नहीं है। उन्होंने युवा कृषि वैज्ञानिकों से देश में तेल-तिलहन उत्पादन बढ़ाने का आह्वान किया। कारोबारी सूत्रों का मानना है कि सरसों तिलहन की आगामी फसल आने में लगभग सात से आठ महीने की देर है और सहकारी संस्था नाफेड पूरी सोच समझ के साथ बाजार में सरसों की सीमित मात्रा में बिकवाली कर रही है। लॉकडाउन में स्वास्थ्य के लिए सजग उपभोक्ताओं में सरसों तेलों, विशेषकर सरसों कच्ची घानी, पीली सरसों के तेल की खपत बढ़ी है। सस्ते आयातित तेलों की आवक बढ़ने के बावजूद देशी तेलों की मांग बढ़ने से सरसों दाना और सरसों दादरी तेल की कीमतें बीते सप्ताह क्रमश: 265 रुपये और 420 रुपये की तेजी के साथ क्रमश: 5,350-5,400 रुपये क्विन्टल पर बंद हुईं। जबकि सरसों पक्की और कच्ची घानी तेलों की कीमतें 85-85 रुपये की तेजी दर्शाती क्रमश: 1,670-1,810 रुपये और 1,780-1,900 रुपये प्रति टिन पर बंद हुईं। कोई विकल्प न होने और घरेलू मांग बढ़ने से मूंगफली तिलहन और मूंगफली तेल गुजरात की कीमत पिछले सप्ताहांत के मुकाबले क्रमश: 180 और 320 रुपये के सुधार के साथ क्रमश: 4,730-4,780 रुपये और 12,240 रुपये प्रति क्विन्टल पर बंद हुई। मूंगफली साल्वेंट रिफाइंड तेल 50 रुपये के सुधार के साथ 1,805-1,865 रुपये प्रति टिन पर बंद हुआ। मलेशिया में जमा भारी स्टॉक के बीच वैश्विक मांग काफी कम होने के बावजूद तेल कीमतों के भाव ऊंचा बोले जाने से समीक्षाधीन सप्ताहांत में कच्चा पाम तेल (सीपीओ), पामोलीन दिल्ली और कांडला की कीमतें क्रमश: 150 - 150 रुपये सुधरकर क्रमश: 7,600-7,650 रुपये, 9,100 रुपये और8,300 रुपये प्रति क्विन्टल पर बंद हुईं। स्थानीय मांग के कारण पिछले सप्ताहांत के मुकाबले बिनौला मिल डिलिवरी हरियाणा तेल की कीमत 320 रुपये के सुधार के साथ 8,500 रुपये क्विन्टल पर बंद हुई।
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