
इस्लामाबाद/पेइचिंग सऊदी अरब और अमेरिका के पैसों पर पलने वाले पाकिस्तान ने अब पुराने मालिकों को धोखा देते हुए अपने नए मालिक की तलाश कर ली है। पाकिस्तान के इस नए मालिक का नाम है चीन। यही नहीं पाकिस्तानी विदेश मंत्री की हेनान यात्रा के दौरान चीन ने अपने 'आयरन ब्रदर' पाकिस्तान के 'स्वतंत्र रास्ता' अख्तियार करने का समर्थन भी कर दिया है। चीन और पाकिस्तान ने भारत को संदेश देते हुए यह भी ऐलान किया है कि वे अपने राष्ट्रीय हितों की रक्षा मिलकर करेंगे। दरअसल, चीन और पाकिस्तान की यह 'नापाक दोस्ती' ऐसे समय परवान चढ़ रही है जब सऊदी अरब और अमेरिका ने इस्लामाबाद को कश्मीर पर झटका दे दिया है, वहीं ड्रैगन का भारत के साथ सीमा पर तनाव चरम पर है। पाकिस्तानी अखबार एक्सप्रेस ट्रिब्यून की रिपोर्ट के मुताबिक चीन ने पाकिस्तान के 'स्वतंत्र' तरीके से विकास का रास्ता चुनने का समर्थन किया है जो 'राष्ट्रीय शर्तों', बेहतर बाहरी सुरक्षा माहौल और अंतरराष्ट्रीय तथा क्षेत्रीय मामलों में और ज्यादा सकारात्मक भूमिका निभाने पर आधारित है। पाकिस्तान मुस्लिम देशों का अलग गुट बनाने का देख रहा ख्वाब चीन और पाकिस्तान के विदेश मंत्रियों की बातचीत के बाद जारी साझा बयान में इसका उल्लेख किया गया है। पाकिस्तानी विदेश मंत्री की यह चीन यात्रा ऐसे समय पर हुई है जब पाकिस्तान का सऊदी अरब और यूएई के साथ टकराव चल रहा है। इन दोनों ही देशों ने पाकिस्तान की कश्मीर पर नाजायज मांग को समर्थन नहीं दिया है। यही नहीं कुरैशी के इस्लामिक देशों के एक अलग गुट को बनाने की धमकी के बाद भड़के सऊदी अरब ने अपना पैसा वापस मांगा है। चीन ने इस मौके का फायदा उठाते हुए पाकिस्तान पर अपनी पकड़ को और ज्यादा मजबूत कर लिया है। चीन ने पाकिस्तान को लोन चुकाने के लिए एक अरब डॉलर दिया है जिसे उसने सऊदी अरब को दिया है। अब पाकिस्तान तुर्की और मलेशिया के साथ मिलकर मुस्लिम देशों का एक अलग गुट बनाने का ख्वाब देख रहा है। यही नहीं पाकिस्तान सऊदी अरब के धुर विरोधी ईरान से भी अपना संबंध बढ़ा रहा है। चीन और पाकिस्तान के बीच घोषणापत्र में सबसे महत्वपूर्ण हिस्सा यह है कि चीन ने पाकिस्तान को ऐसी स्वतंत्र नीतियों को बनाने का समर्थन किया है जो उसके राष्ट्रीय हित में हैं। चीन ने कहा कि दक्षिण एशिया में पाकिस्तान उसका सबसे सच्चा भागीदार है। यही नहीं चीन पाकिस्तान के क्षेत्रीय अखंडता, संप्रभुता और स्वतंत्रता तथा स्वतंत्र तरीके से विकास के रास्ते का समर्थन करता है जो उसके अपने राष्ट्रीय हित पर आधारित है। अरब देशों ने चीन के डेब्ट ट्रैप से किया आगाह, नहीं माना पाक एक्सप्रेस ट्रिब्यून ने कहा कि साझा बयान में यह लाइन उन देशों (इसमें कुछ पाकिस्तान के दोस्त हैं) के लिए है जो इस्लामाबाद को यह सलाह दे रहे हैं कि वह ऐसे फैसले न ले जिससे देश के हितों को लंबी अवधि में नुकसान पहुंचे। ऐसा माना जाता है कि अरब देशों में पाकिस्तान के कुछ मित्र देश उसे सलाह दे रहे हैं कि वह चीन से दूरी बनाए और अमेरिका तथा उसके सहयोगी देशों के साथ दोस्ती बढ़ाए। अरब देशों की इस सलाह के विपरीत इमरान खान ने कहा है कि पाकिस्तान का भविष्य अब चीन के साथ जुड़ा हुआ है। इमरान खान ने कहा कि पाकिस्तान चीन के साथ लंबी अवधि तक रणनीतिक और आर्थिक भागीदारी को देखता है। पाकिस्तान और चीन के इस संयुक्त बयान से यह भी स्पष्ट हो गया कि इस्लामाबाद चीन के डेब्ट ट्रैप का प्रतीक कहे जाने वाले बीआरआई और चीन-पाकिस्तान आर्थिक कॉरिडोर से पीछे नहीं हटेगा। दरअसल श्रीलंका का उदाहरण देकर अमेरिका और अरब दुनिया के कई देश पाकिस्तान को सलाह दे रहे हैं कि वह चीन का आर्थिक गुलाम बन सकता है, इसलिए बीआरआई और सीपीईसी से हट जाए लेकिन पाकिस्तान पर इस सलाह का कोई असर नहीं पड़ रहा है। भारत से दुश्मनी दोनों देशों को ला रही करीब भारत और पाकिस्तान का साझा दुश्मन भारत है और यही दोनों को और करीब ला रहा है। पाकिस्तानी विदेश मंत्री सैन्य सहयोग की योजना को लेकर चीन पहुंचे थे। पाकिस्तानी सेना पीएलए के साथ अपने रिश्तों को और ज्यादा मजबूती देना चाहती है और वह एक संयुक्त सैन्य आयोग बनाना चाहती है। पाकिस्तानी सेना के इस प्लान के पीछे उद्देश्य यह है कि दोनों ही सेनाओं के बीच रणनीतिक फैसले लिए जा सके। इससे चीनी सेना पीएलए और पाकिस्तानी सेना एक साथ आ जाएगी। इस पूरे मामले से जुड़े लोगों का कहना है कि कुरैशी चाहते हैं कि चीन सिंध, पाक अधिकृत कश्मीर और गिलगित-बाल्टिस्तान क्षेत्र में आधारभूत ढांचे सुधारने में मदद करे। पीओके और गिलगित दोनों ही पर पाकिस्तान का कब्जा है लेकिन भारत इस पर दावा करता है। चीन करीब 60 अरब डॉलर का निवेश करके पाकिस्तान से चीन तक सड़क और रेलवे लिंक बना रहा है। इसके जरिए पाकिस्तान के ग्वादर पोर्ट से चीन के शिनजियांग प्रांत को जोड़ा जाएगा। बताया जा रहा है कि चीन ने पाकिस्तान को आश्वासन दिया है कि कश्मीर के मुद्दे पर पूरा समन्वय इस्लामाबाद के साथ किया जाएगा। इमरान खान सरकार चाहती है कि चीन एक कदम और आगे बढ़ते हुए अगले महीने होने वाले संयुक्त राष्ट्र आमसभा के सत्र में उठाए। इसके अलावा नेपाल में अपनी पकड़ को और ज्यादा मजबूत करने के लिए पाकिस्तान चीन के रास्ते नेपाल तक अपना सामान पहुंचाने के लिए ट्रांसपोर्ट कॉरिडोर चाहता है।
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