टैक्स डिपार्टमेंट और इंटरनेट कंपनियों में क्यों मचा है घमासान?

मुंबई कर अधिकारियों (Tax officials) और दिग्गज इंटरनेट कंपनियों के बीच टैक्स को लेकर ठन गई है। दरअसल गूगल, फेसबुक, नेटफ्लिक्स और लिंक्डइन जैसी प्रमुख इंटरनेट कंपनियों ने अप्रैल-जून तिमाही का टैक्स नहीं भरा है। उन्हें 7 जुलाई तक इस टैक्स का भुगतान करना था। 2020-21 के बजट में इन कंपनियों पर 2 फीसदी टैक्स () लगाने की घोषणा की गई थी। कंपनियों का दावा है कि इस टैक्स को लेकर स्थिति स्पष्ट नहीं है। जैसे यह ग्रॉस पर लगेगा या नेट रेवेन्यू पर। टैक्स डिपार्टमेंट के अधिकारियों ने ईटी को बताया कि इसमें कोई कनफ्यूजन नहीं है और टैक्स की गणना भारतीयों द्वारा इन प्लेटफॉर्म्स पर खर्च की गई कुल राशि के आधार पर होगी। इससे पहले अधिकारियों ने बताया था क कि टैक्स का आधार वही होगा जो टीडीएस में होता है और यह ग्रॉस रेवेन्यू पर लागू होगा। अधिकांश अमेरिकी कंपनियांअभी भारत और अमेरिका equalisation levy पर विवाद को हल करने के लिए काम कर रहे हैं। अमेरिका इसका विरोध कर रहा है। भारत ने इसमें अमेरिका के सुप्रीम कोर्ट के एक फैसले का हवाला दिया था जिसमें कहा गया था कि टैक्स लगाने के लिए ऑनलाइन कंपनी की फिजिकल प्रजेंस की जरूरत नहीं है। भारत में जिन कंपनियों पर यह टैक्स लगाया गया है, उनमें अधिकांश अमेरिकी हैं। डिजिटल क्षेत्र की अधिकांश दिग्गज कंपनियां भारत से होने वाली इनकम पर टैक्स नहीं देती हैं। इसकी वजह यह है कि इन कंपनियों की होल्डिंग कंपनियां टैक्स फ्रेंडली देशों में रजिस्टर्ड हैं। 2 फीसदी टैक्स लगने से इन कंपनियों की लागत बढ़ेगी क्योंकि उन्हें अपने देश में इसका क्रेडिट नहीं मिलेगा। कुछ कंपनियां यह कहते हुए इसका विरोध कर सकती हैं कि यह भारत के टैक्स ट्रीटी ऑब्लिगेशंस के अनुरूप नहीं है।


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