नई दिल्ली पश्चिम बंगाल के वित्त मंत्री अमित मित्रा ने केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण () को पत्र लिखकर कहा है कि राज्यों को जीएसटी राजस्व संग्रह में कमी को पूरा करने के लिए बाजार से कर्ज लेने के लिए नहीं कहा जाना चाहिए। जीएसटी परिषद की बृहस्पतिवार को होने वाली बैठक से पहले उन्होंने यह पत्र लिखा है। बैठक में राजस्व में गिरावट के बीच राज्यों को क्षतिपूर्ति के मुद्दे पर चर्चा होगी। मित्रा ने मंगलवार को सीतारमण को लिखे पत्र में कहा, ‘केंद्र को उन उपकर से राज्यों को क्षतिपूर्ति दी जानी चहिए जो वह संग्रह करता है और इसका बंटवारा राज्यों को नहीं होता। जिस फॉर्मूले पर सहमति बनी है, उसके तहत अगर राजस्व में कोई कमी होती है, यह केंद्र की जिम्मेदारी है कि वह राज्यों को पूर्ण रूप से क्षतिपूर्ति राशि देने के लिए संसाधन जुटाए।’ क्षतिपूर्ति भुगतान पर पीछे हटने का सवाल ही नहीं उन्होंने कहा कि क्षतिपूर्ति भुगतान पर पीछे हटने का सवाल ही नहीं है। मित्रा ने कहा कि 14 प्रतिशत की दर का हर हाल में सम्मान होना चाहिए। पत्र में उन्होंने लिखा है, ‘किसी भी हालत में राज्यों से बाजार से कर्ज लेने के लिए नहीं कहा जाना चाहिए क्योंकि इससे कर्ज भुगतान की देनदारी बढ़ेगी। पुन: इससे ऐसे समय राज्य को व्यय में कटौती करनी पड़ सकती है, जब अर्थव्यवस्था में मंदी की गंभीर प्रवृत्ति है। इस समय खर्च में कटौती वांछनीय नहीं है।’ जीएसटी कानून के तहत राज्यों को माल एवं सेवा कर (जीएसटी) के क्रियान्वयन से राजस्व में होने वाले किसी भी कमी को पहले पांच साल तक पूरा करने की गारंटी दी गई है। जीएसटी एक जुलाई, 2017 से लागू हुआ। कमी का आकलन राज्यों के जीएसटी संग्रह में आधार वर्ष 2015-16 के तहत 14 प्रतिशत सालाना वृद्धि को आधार बनाकर किया जाता है। केंद्र ने 2019-20 में जीएसटी क्षतिपूर्ति मद में 1.65 लाख करोड़ रुपये जारी किए। मुआवजे में देरी से भरोसे को चोटमित्रा ने कहा कि माल एवं सेवा कर (जीएसटी) केंद्र एवं राजयों के बीच आपसी भरोसे के आधार लागू किया गया था। उन्होंने कहा, ‘जीएसटी मुआवजे में भुगतान में देरी के कारण इस भरोसे को पहले ही कुछ चोट पहुंच चुकी है। हमें ऐसा कुछ भी नहीं करना चाहिए जिससे इस बेजोड़ सामूहिक प्रयास को बड़ा झटका लगे।’
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