कोरोना हेल्थ इंश्योरेंस क्लेम के मामले 1 लाख के करीब, 1400 करोड़ का दावा

मयूर शेट्टी, नई दिल्ली कोरोना के मामले देश में तेजी से बढ़ रहे हैं। भारत में संक्रमित मरीजों के मामले 20 लाख पहुंचने वाले हैं और 41 हजार के करीब लोगों की मौत हो चुकी है। अब निजी अस्पतालों में भी बड़े पैमाने पर कोरोना का इलाज हो रहा है, जिसके कारण कोरोना संबंधित क्लेम के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं। एक रिपोर्ट के मुताबिक ऐसे क्लेम के मामले 1 लाख के करीब पहुंच गए हैं और क्लेम की राशि करीब 1400 करोड़ रुपये पहुंच गई है। क्लेम के सबसे ज्यादा मामले मुंबई से आए हैं। औसतन 50 हजार मामले सामने आ रहे हैं देश में इस समय औसतन 50 हजार मामले रोजाना आ रहे हैं। इनमें से हेल्थ इंश्योरेंस क्लेम के औसतन मामले 2000 के करीब हैं। क्लेम में तेजी को लेकर इंश्योरेंस कंपनियों का कहना है कि पहले कोरोना का इलाज ज्यादातर सरकारी अस्पतालों में हो रहा था। अब प्राइवेट अस्पतालों में भी सही इलाज हो रहा है। ऐसे में जिन लोगों के पास इंश्योरेंस की सुविधा होती है वे अब सरकारी की जह निजी अस्पताल की ओर जा रहे हैं। बेंगलुरू में करीब 5000 कोरोना मरीज निजी अस्पतालों में भर्ती हैं। 51 हजार करोड़ का हेल्थ इंश्योरेंस मार्केट भारत में हेल्थ इंश्योरेंस का मार्केट करीब 51 हजार करोड़ का है। उस हिसाब से यह बहुत बड़ी रकम नहीं है। इंश्योरेंस कंपनियों का कहना है कि आने वाले समय में क्लेम में बहुत ज्यादा तेजी की उम्मीद नहीं है। इसके पीछे दो कारणों का उल्लेख करते हुए उनका कहना है कि कोरोना का विस्तार पर मेट्रो सिटी की जह छोटे शहरों में हो रहा है। वहां इंश्योरेंस लेने वालों की संख्या कम है। इसलिए क्लेम में कमी आएगी। दूसरा महत्वपूर्ण कारण ये है कि डॉक्टर भी कोरोना के सामान्य प्रभावित मरीजों को घरों में रहने की सलाह दे रहे हैं। इसलिए अस्पताल का खर्च घटेगा। अब 21 दिन में दोगुना हो रहे क्लेम के मामले बजाज अलायंस जनरल हेल्थ इंश्योरेंस के एक अधिकारी का कहना है कि पहले 15-16 दिनों में क्लेम के मामले दोगुने हो रहे थे। अब यह बढ़कर 21 दिन पर पहुंच गया है। होम क्वॉरंटीन में तेजी के कारण क्लेम के मामले घट रहे हैं। जानकारी के लिए बता दें कि होम ट्रीटमेंट में भी इंश्योरेंस क्लेम का फायदा उठाया जा सकता है। इसमें ट्रीटमेंट पैकेज अमूमन 15 हजार तक का होता है। इसमें रिकवरी के बाद मेडिकल डॉक्यूमेंट के साथ रिकवरी के लिए सबमिशन करना होता है। हॉस्पिटलाइजेशन के मामले में यह कैशलेस हो जाता है।


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