कोलकाता, 17 सितंबर (भाषा) जीएसटी क्षतिपूर्ति के मुद्दे पर केंद्र सरकार पर निशाना साधते हुए पश्चिम बंगाल के वित्त मंत्री अमित मित्रा ने आरोप लगाया कि राजस्व की कमी को पूरा करने के लिए दिए गए जीएसटी विकल्पों पर राज्यों को सहमत करने के लिए राजनीतिक ताकत का इस्तेमाल जा रहा है। मित्रा ने कहा कि अगर केंद्र द्वारा दिए गए दो विकल्पों पर जीएसटी परिषद की अगली बैठक में मतदान के लिए मजबूर किया जाता है, तो यह भारत के लिए एक ऐतिहासिक भूल होगी। केंद्र ने राज्यों को दो विकल्प दिए हैं, जिनके तहत वे चालू वित्त वर्ष में 2.35 लाख करोड़ रुपये के अनुमानित घाटे के लिए बाजार से उधार ले सकते हैं। केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने 27 अगस्त को जीएसटी परिषद की 41वीं बैठक के बाद कहा था कि कोविड-19 एक दैवीय आपदा है, जिसके चलते अर्थव्यवस्था और जीएसटी संग्रह पर बुरा असर पड़ा है। मित्रा ने समाचार वेबसाइट द वायर को दिए एक साक्षात्कार में कहा, ‘‘...जीएसटी परिषद की पांच घंटे चली बैठक में क्या हुआ, किसी विकल्प पर चर्चा नहीं की गई। अचानक बैठक के अंत में दो विकल्प रखे गए और बैठक खत्म हो गई। दूसरे शब्दों में, आप राज्यों को दो विकल्प में किसी एक को चुनने के लिए मजबूर कर रहे हैं, जबकि इसके तीन या चार विकल्प हो सकते हैं। हमें लगता है कि एक तीसरा विकल्प है, लेकिन कोई सुनने को तैयार नहीं है।’’ उन्होंने कहा ‘‘अब राजनीतिक बाहुबल का इस्तेमाल किया जा रहा है, जिसे मैं बहुसंख्यकवाद का बाहुबल कहूंगा, ताकि राज्यों को एक या दो विकल्पों पर राजी किया जा सके। एक रणनीति के रूप में मैं यह नहीं बताऊंगा कि हम अदालत में जाएंगे या नहीं।’’ उन्होंने कहा कि केंद्र का कदम जीएसटी की बुनियाद को चुनौती देगा, और अगर जीएसटी परिषद बंट गई तो संघवाद की भावना को नुकसान होगा। उन्होंने कहा कि ऐसे में विश्वास की जगह अविश्वास होगा और सहमति के आधार पर किया गया जीएसटी का पूरा प्रयोग एक समस्या बन जाएगा।
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