प्रतीक भक्ता, बेंगलुरु डिजिटल पेमेंट कंपनियां तेजी से ऑफलाइन पेमेंट्स का रुख कर रही हैं। वह क्यूआर कोड(क्विक रिस्पांस) के माध्यम से मार्केट के इस बड़े हिस्से पर कब्जा करना चाहती हैं। पेटीएम, फोनपे और गूगल पे क्यूआर कोड ऑफर करती हैं और उनके खुद के मर्चेंट हैं। वहीं भारतपे एग्रीगेटर के रूप में काम करती है और अपने मर्चेंट को यूपीआई बेस्ड पेमेंट मुहैया कराती है। भारतपे प्लेटफॉर्म पर होने वाले लेनदेन में से जून महीने में फोनपे का यूपीआई ट्रांजैक्शन 54 प्रतिशत शेयर, गूगल पे का 30 प्रतिशत और पेटीएम का 12 प्रतिशत शेयर देखा गया। भारतपे द्वारा जारी क्यूआर कोड पर 10 प्रतिशत पॉइंट्स के साथ जनवरी से फोनपे के शेयर में 44 प्रतिशत का उछाल देखने को मिला है। दूसरी ओर पेटीएम का इसमें कम शेयर हो सकता है लेकिन कंपनी क्यूआर कोड के लेनदेन के मामले में काफी आगे है। क्यूआर कोड आधारित ऑफलाइन लेनदेन के मामले में पेटीएम आगे पेटीएम के पास खुद के स्वामित्व वाले क्यूआर कोड आधारित ऑफलाइन भुगतान का एक बड़ा हिस्सा है। 12 मिलियन यानी 120 लाख मर्चेंट के द्वारा 250 मिलियन लेनदेन पेटीएम क्यूआर कोड के माध्यम से किए जाते हैं। पेटीएम क्यूआर पेटीएम ऐप के माध्यम से किसी भी बैंक खाते से किए गए यूपीआई भुगतान को भी स्वीकार करता है। पेटीएम के सीनियर वाइज प्रेजिडेंट दीपक अब्बोट ने बताया, 'हमने अपना क्यूआर कोड साल 2015 में लॉन्च किया था। देशभर के लोकल किराना स्टोर, ऑटोरिक्शा से लेकर टॉप के होटलों और रेस्ट्रॉन्ट के लाखों लोगों ने इसे स्वीकार किया।' उन्होंने आगे कहा, 'हम पिछले एक साल में 3 गुना वृद्धि के गवाह बने, जिसमें ऑनलाइन और ऑफलाइन दोनों तरह का पेमेंट शामिल हैं।' भारतपे के यूपीआई पेमेंट्स में भी बढ़ोतरी दूसरी तरफ फोनपे ने के द्वारा लेनदेन की संख्या के बारे में तो साफतौर पर कुछ नहीं कहा लेकिन इतना बताया कि उसके पास 5.5 मिलियन ऑफलाइन मर्चेंट हैं जो फोनपे के द्वारा केवल यूपीआई पेमेंट स्वीकार करते हैं। भारतपे के सीईओ अशनीर ग्रोवर का कहना है, 'भारतपे के माध्यम से यूपीआई पेमेंट में बढ़ोतरी हुई है। अप्रैल में 6 मिलियन लेनदेन हुए थे जो जून में बढ़कर 10 मिलियन पर पहुंच गए।' सरकार के डिजिटल पेमेंट के सभी तरीकों के लिए जीरो चार्ज के प्रस्ताव रखने के बाद से ही बहस का मुख्य विषय बन गया है सरकार के इस प्रस्ताव पर पेमेंट कंपनियों के एक बड़े तबके के चिंता जाहिर की है जबकि स्मार्टफोन बेस्ड पेमेंट कंपनियों ने इसके समर्थन में हैं। ग्रोवर ने कहा, 'एमडीआर को हटाना एक स्वागत योग्य कदम है। पेमेंट के नाम पर अब और वसूली नहीं होनी चाहिए।'
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