कॉफी के साथ वी जी सिद्धार्थ ने IT पर लगाया था बड़ा दांव

नई दिल्ली कॉफी डे एंटरप्राइजेज के चेयरमैन और मैनेजिंग डायरेक्टर हाल में आईटी कंपनी माइंडट्री में अपना पूरा स्टेक बेचने को लेकर चर्चा में आए थे। कर्नाटक के चिकमंगलूर में कॉफी प्लांटर्स के परिवार में जन्मे सिद्धार्थ की आईटी कंपनियों में दिलचस्पी काफी पहले से थी। 1993 में जब इंफोसिस ने आईपीओ लॉन्च किया तो इशू अनसब्सक्राइब्ड रह गया था। तब सिद्धार्थ और इनाम सिक्योरिटीज के वल्लभ भंसाली ने ऑफर को अंडरराइट किया था और उसे सफल बनाया। वही इंफोसिस देश की दूसरी बड़ी सॉफ्टवेयर कंपनी के मुकाम तक पहुंच चुकी है। सिद्धार्थ के इंफोसिस के फाउंडर नंदन नीलेकणि से भी करीबी संबंध बन गए थे और उन्हें वह अपना 'बड़ा भाई' कहते थे। नीलेकणि ने कॉफी डे एंटरप्राइज के आईपीओ में निवेश किया था। पढ़ें- सिद्धार्थ का सबसे बड़ा दांव रही माइंडट्री सिद्धार्थ भारत के शुरुआती वेंचर कैपिटल इनवेस्टर्स में शामिल हैं। उन्होंने ग्लोबल टेक्नॉलजी वेंचर्स के साथ मिलकर ऐसे फाउंडर्स पर दांव लगाया, जिन्होंने टेक्नॉलजी कंपनियां खड़ी कीं। 1999 में उन्होंने आईवेगा कॉर्प, क्षेम टेक्नॉलजीज और माइंडट्री में निवेश किया था। बाद में आईवेगा 50 लाख डॉलर में बिकी, वहीं एमफैसिस ने क्षेम को 2.1 करोड़ डॉलर में खरीदा था। आईवेगा के फाउंडर गिरि देवानर ने कहा, 'आईवेगा दरअसल ब्रिगेड रोड पर कॉफी डे में ही शुरू हुई थी क्योंकि वहां इंटरनेट था। उनकी दिलचस्पी इसमें रहती थी कि ये युवा लोग इंटरनेट का उपयोग कर रहे हैं। मेरा उनसे वहीं परिचय हुआ। उन्होंने आईवेगा में 10 करोड़ लगाए थे।' सिद्धार्थ का हालांकि सबसे बड़ा दांव माइंडट्री रही। निवेश के दो दशक बाद उन्होंने 20.31% स्टेक बेचा तो 2850 करोड़ रुपये से ज्यादा प्रॉफिट हासिल किया। सिद्धार्थ को देश में पहला साइबर कैफे ब्रिगेड रोड वाले कॉफी डे आउटलेट में खोलने का श्रेय दिया जाता है। यही मॉडल बाद में इंटरनेट के प्रसार में काफी सहायक हुआ। पढ़ें- साल 1994 में शुरू की 'कैफे कॉफी डे' सिद्धार्थ ने इंडिया की पहली पॉपुलर कैफे चेन कैफे कॉफी डे की शुरुआत 1994 में बेंगलुरु के ब्रिगेड रोड इलाके में पहले आउटलेट के साथ की थी। सिद्धार्थ शुरू में इंडियन ऑर्मी जॉइन करना चाहते थे, लेकिन मैंगलोर यूनिवर्सिटी से इकनॉमिक्स में मास्टर्स डिग्री लेने के बाद उन्होंने इन्वेस्टमेंट बैंकर बनने की राह पकड़ी। 1984 में उन्होंने अपनी इन्वेस्टमेंट एंड वेंचर कैपिटल फर्म सिवन सिक्योरिटीज खोली और अपनी इस स्टार्टअप से हासिल प्रॉफिट को चिकमंगलूर जिले में कॉफी के बाग खरीदने में लगाने लगे। 1993 में उन्होंने कॉफी ट्रेडिंग कंपनी अमलगमेटेड बीन कंपनी खोली। जर्मन कॉफी चेन Tchibo के मालिकों से बातचीत से प्रभावित होकर उन्होंने कैफे कॉफी डे का पहला आउटलेट बेंगलुरु के ब्रिगेड रोड इलाके में 1994 में खोला था और इसकी टैग लाइन थी 'अ लॉट कैन हैपेन ओवर अ कप ऑफ कॉफी।' आज यह भारत की सबसे बड़ी कैफे चेन है। 200 से ज्यादा शहरों में इसके 1,750 कैफे हैं।


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