रश्मि राजपूत, मुंबई दीपक व चंदा कोचर और के चेयरमैन वेणुगोपाल धूत से जांच एजेंसियां फिर पूछताछ कर सकती हैं। हाल में दो अलग-अलग रिपोर्ट्स में कहा गया है कि विडियोकॉन ग्रुप से की कंपनियों को घुमा-फिराकर मिले 64 करोड़ रुपये की वजहों का पता नहीं चल पाया है। सूत्रों ने बताया कि तीनों से इस बारे में एजेंसियां पूछताछ कर सकती हैं। आईसीआईसीआई बैंक से विडियोकॉन ग्रुप को मिले कर्ज में कथित गड़बड़ियों को लेकर कोचर दंपती जांच एजेंसियों के निशाने पर है। ये कर्ज उस वक्त दिए गए थे, जब चंदा आईसीआईसीआई बैंक की चीफ थीं। इनकम टैक्स डिपार्टमेंट और कंपनी मामलों के मंत्रालय ने अपनी हालिया रिपोर्ट्स में बताया था कि कई कंपनियों के जरिये दीपक कोचर ग्रुप की कंपनियों को विडियोकॉन से 64 करोड़ रुपये मिले थे। रिपोर्ट्स के मुताबिक, यह पैसा क्यों दिया गया, इसकी वजहों का पता नहीं चला है। सूत्रों के मुताबिक, इनकम टैक्स डिपार्टमेंट की जांच इकाई ने कहा है ‘बिजनस खर्च’ के मद में जो खर्चे दिखाए गए हैं, वे ‘जेनुइन बिजनस ट्रांजैक्शंस’ नहीं लगते। कंपनी मामलों के मंत्रालय ने भी संकेत दिया है कि विडियोकॉन ग्रुप ने ‘कोचर ग्रुप से यह पैसा वापस लेने की गंभीर कोशिश नहीं की।’ कई जांच एजेंसियां धूत और कोचर दंपती से कई बार पूछताछ कर चुकी हैं। कम से कम चार केंद्रीय एजेंसियों- सीबीआई, एन्फोर्समेंट डायरेक्टरेट (ईडी), इनकम टैक्स डिपार्टमेंट और कंपनी मामलों का मंत्रालय कई कानून के उल्लंघन को लेकर जांच कर रहा है। पिछले हफ्ते धूत और दीपक कोचर से ईडी ने दिल्ली में अपने मुख्यालय में पूछताछ की थी। ऊपर जिन सूत्रों का जिक्र किया गया है, उनमें से एक ने कहा, ‘दोनों रिपोर्ट्स में 64 करोड़ के लेनदेन को संदिग्ध बताया गया है। अब इसकी जांच हो रही है कि यह पैसा आईसीआईसीआई बैंक से विडियोकॉन ग्रुप को दिए गए कर्ज की एवज में तो नहीं दिया गया था? कोचर दंपती और धूत से इन रिपोर्ट्स के नतीजों से जुड़े सवाल किए जाएंगे।’ अधिकारी ने यह भी कहा, ‘इस मामले की जांच में न ही कोचर दंपती और न ही धूत सहयोग कर रहे हैं।’ इनकम टैक्स डिपार्टमेंट दक्षिण मुंबई में सीसीआई चैंबर की खरीद की भी पड़ताल कर रहा था। कोचर परिवार इसी इमारत में रहता है। इनकम टैक्स डिपार्टमेंट इस सौदे की जांच बेनामी लेनदेन (निषेध) कानून के तहत कर रहा है, लेकिन अभी तक इसमें कोई खास प्रगति नहीं हुई है। ऊपर जिन सूत्रों का जिक्र है, उनमें से एक ने कहा, ‘जांच से पता चला कि कोचर की कंपनी क्रिडेंशिल फाइनैंस लिमिटेड ने 1998 में यह फ्लैट खरीदा था। 2001 तक विडियोकॉन इंटरनैशनल का इस कंपनी में 2 पर्सेंट स्टेक था। इसके बाद क्रिडेंशल को लिक्विडेट कर दिया गया और विडियोकॉन ने क्वॉलिटी अप्लायंस को टेकओवर के लिए अधिकृत किया। इस फ्लैट पर क्वॉलिटी अप्लायंसेज प्राइवेट लिमिटेड (अब क्वॉलिटी टेक्नो अडवाइजर्स प्राइवेट लिमिटेड) का मार्च 2016 तक हक था, जो विडियोकॉन ग्रुप से जुड़ी कंपनी है। इस फ्लैट को एक ट्रस्ट के जरिये 2016 में दीपक कोचर को मामूली कीमत पर ट्रांसफर किया गया।’
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