विक्रांत सिंह एसबीआई ने हाल में एमसीएलआर में 0.05 फीसदी की कटौती करते हुए होम लोन की दरों को 0.10 प्रतिशत कम कर दिया है। देश के बैंकिंग सेक्टर में 25 फीसदी से अधिक हिस्सेदारी रखने वाले एसबीआई के बाद दूसरे बैंक भी ऐसा कदम उठाने को मजबूर होंगे। लेकिन क्या ाप जानते हैं कि किन वजहों से लंबे समय तक सस्ता लोन मिलने के आसार बन रहे हैं? बॉन्ड यील्ड घची, जीडीपी 5.8 फीसदी पर देश के 10 साल के बेंचमार्क बॉन्ड की यील्ड घटकर 6.33% पर आ गई है। पिछले ढाई साल में यह सबसे कम है। एक महीने में ही 0.56% की गिरावट आई है। वहीं, 7 अगस्त को होने वाली मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) की बैठक में ब्याज दरों में एक बार फिर कटौती होने की संभावना है। रीपो रेट अभी 5.75 पर्सेंट है, जो सितंबर 2010 के बाद इसका सबसे निचला स्तर है। जनवरी-मार्च तिमाही में जीडीपी दर 5.8 फीसदी पर आ गई थी, जिससे आर्थिक सुस्ती की आशंका बढ़ी है। एमपीसी ने भी महंगाई दर को काबू में रखने के बजाय विकास पर ध्यान देने की बात कही है। इन सबको देखते हुए लग रहा है कि ब्याज दरें लंबे समय तक कम रह सकती हैं यानी आम लोगों को होम लोन, पर्सनल लोन और कार लोन पर लंबे समय तक कम ब्याज चुकाना होगा। पढ़ें : SBI ने दिखाया रास्ता रीपो रेट में कटौती से बैंकों का मार्जिनल कॉस्ट लेंडिंग रेट भी घट जाता है, जिससे ग्राहकों को सीधा फायदा मिलता है। इस साल पॉलिसी रेट में कटौती का ग्राहकों को कुछ फायदा मिला भी है। एसबीआई ने हाल में एमसीएलआर में 0.05 फीसदी की कटौती करते हुए होम लोन की दरों को 0.10 प्रतिशत कम कर दिया है। देश के बैंकिंग सेक्टर में 25 फीसदी से अधिक हिस्सेदार रखने वाले एसबीआई के बाद दूसरे बैंक भी ऐसा कदम उठाने को मजबूर होंगे। ने भी कुछ समय पहले कहा था कि पहले रीपो रेट में कटौती का फायदा ग्राहकों तक पहुंचने में 6 महीने का समय लग जाता था। अब हम इसे दो से तीन महीने के स्तर पर लाने की कोशिश कर रहे हैं। (ईटी से) अंतर्राष्ट्रीय असर भारत के की ही तरह अमेरिका में फेडरल रिजर्व है। इसकी बैठक में भी रेट कट की मजबूत संभावना जताई जा रही है। ऐसा हुआ तो भारत जैसे उभरते बाजार की मुद्रा पर दबाव कम होगा। इससे आरबीआई ज्यादा आक्रामक होकर दरों में कटौती कर सकता है। विकास का कांटा खपत घटने और आर्थिक विकास दर पर दबाव को देखते हुए रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (आरबीआई) इस साल अब तक रीपो रेट में तीन बार में 0.75 फीसदी की कमी कर चुका है। अभी तक आम ग्राहकों को सस्ते कर्ज के रूप में इसका पूरा फायदा नहीं मिला है, लेकिन पिछले वीकेंड पर आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास ने सरकारी बैंकों से ग्राहकों को फिर से इसका पूरा लाभ देने की अपील की है। पूरी हो गई बैंकिंग सिस्टम में कैश की कमी दरअसल, लोकसभा चुनाव की आचार संहिता लागू होने के कारण कुछ महीनों तक सरकारी खर्च कम रहा और बैंकिंग सिस्टम में तब कैश की भी कमी हो गई थी। ऐसे में बैंक रेपो रेट में कटौती का पूरा फायदा ग्राहकों को नहीं दे पाए। हालांकि अब बैंकिंग सिस्टम में कैश की कमी दूर हो गई है और रिजर्व बैंक के फिर से बैंकों पर दबाव बढ़ाने से ग्राहकों को पूरा लाभ मिलने की उम्मीद बढ़ी है।
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