गुलवीन औलख & देविना सेनगुप्ता, नई दिल्ली & मुंबई पिछले लगभग एक साल में हैंडसेट इंडस्ट्री में काम करने वाले 2,50,000 से अधिक लोगों को नौकरी से हाथ धोना पड़ा है। रिटेल, डिस्ट्रीब्यूशन और मैन्युफैक्चरिंग सेगमेंट में खासतौर पर हुई है। ऑनलाइन चैनल की ग्रोथ बढ़ने से रिटेल स्टोर्स को नुकसान हुआ है। साथ ही चीन की कंपनियों का दबदबा बढ़ने से भारतीय कंपनियां मार्केट से गायब होती जा रही हैं। इससे देसी मैन्युफैक्चरर्स पर चोट पड़ी है। इंडस्ट्री एग्जिक्यूटिव्स और रिटेलर्स ने बताया कि नौकरी गंवाने वाले ज्यादातर लोग इन-शॉप प्रमोटर थे, जो रिटेल और डिस्ट्रीब्यूशन बिजनस का हिस्सा है। फोन बेचने वाली छोटी रिटेल दुकानों के बंद होने से ऐसा हुआ। कई ब्रांड्स अब प्रॉफिट पर अधिक ध्यान दे रहे हैं और इस वजह से उन्होंने रिटेल खर्च में कटौती की है। माइक्रोमैक्स और इंटेक्स जैसी कंपनियों ने मैन्युफैक्चरिंग डिपार्टमेंट से कई लोगों की छंटनी की है। इंडियन सेल्युलर इलेक्ट्रॉनिक्स असोसिएशन (ICEA) के प्रेजिडेंट पंकज मोहिंद्रू ने बताया, 'पिछले दो साल में 2,50,000 से ज्यादा लोगों की नौकरी गई है। कई रिटेल दुकानें बंद हुईं, लोगों की छंटनी हुई और डिस्ट्रीब्यूशन चेन पर ताला लगा।' उन्होंने बताया, 'छंटनी का असर 20,000-25,000 मैन्युफैक्चरिंग से जुड़े लोगों पर भी पड़ा। हालांकि सबसे ज्यादा प्रभाव रिटेल और डिस्ट्रीब्यूशन सेगमेंट पर दिखा।' ऑल इंडिया मोबाइल रिटेलर्स असोसिएशन (AIMRA) का दावा है कि ICEA का रिटेल जॉब लॉस का आंकड़ा 'कंजर्वेटिव' है यानी छंटनी कहीं अधिक हुई है। AIMRA का कहना है कि किसी भी स्टोर पर कस्टमर को अटेंड करने वालों की संख्या पहले से लगभग आधी रह गई है। खरीदार अब ऑनलाइन रिसर्च करके आते हैं और स्टोर से सीधे फोन खरीद लेते हैं। ऐसे में रिटेलर्स के पास उन्हें बताने को कुछ नहीं बचता। AIMRA के नैशनल प्रेजिडेंट अरविंदर खुराना ने बताया, 'ऑनलाइन शॉपिंग बढ़ने और कई ब्रांड के बंद होने से हैंडसेट इंडस्ट्री में छंटनी की संख्या कई ज्यादा है। पहले 10-11 बड़ी देसी और चाइनीज स्मार्टफोन ब्रांड मार्केट में ऑपरेट कर रही थीं। उनके शॉप प्रमोटर, टीम लीडर और उनके सीनियर हुआ करते थे।
from Latest Business News in Hindi - बिज़नेस खबर, बिज़नेस समाचार, व्यवसाय न्यूज हिंदी में | Navbharat Times http://bit.ly/2Kg7qMz