दीपशिखा सिकरवार & विनय पांडेय, नई दिल्ली वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा है कि बजट में अमीरों पर जो सरचार्ज लगाया गया, उसका इरादा ट्रस्ट के रूप में काम करने वाले विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (एफपीआई) को नुकसान पहुंचाना नहीं था। उन्होंने इकनॉमिक टाइम्स को दिए इंटरव्यू में यह भी कहा कि इकनॉमी और मुश्किल दौर से गुजर रहे ऑटो जैसे क्षेत्रों पर सरकार की नजर है। उन्होंने ब्याज दरों में ‘भारी कटौती’ की भी वकालत की। वित्त मंत्री ने यह भी कहा कि विदेश से कर्ज जुटाने की योजना पर सरकार पुनर्विचार नहीं कर रही है। उन्होंने बताया कि बजट में टैक्स कलेक्शन के जो लक्ष्य रखे गए हैं, वे हासिल किए जा सकते हैं। सरचार्ज के जरिए पर वार नहीं था कोई इरादा 'दो करोड़ से ज्यादा की सालाना आमदनी पर सरचार्ज लगाए जाने पर निर्मला ने कहा, ‘ईमानदारी से कहूं तो हम एफपीआई को छूना नहीं चाहते थे।’ उन्होंने वादा किया कि जो कंपनियां सरचार्ज से बचने के लिए ट्रस्ट से कॉर्पोरेट स्ट्रक्चर में शिफ्ट होना चाहती हैं, वह उनका पक्ष सुनने को तैयार हैं। वित्त मंत्री ने कहा, ‘अगर यह प्रक्रिया पेचीदा हो जाती है, कन्वर्जन टैक्स न्यूट्रल नहीं है तो मैं उनकी बात सुनने को तैयार हूं।’ हालांकि, उन्होंने विदेशी निवेशकों को स्पेशल ट्रीटमेंट को लेकर आगाह भी किया। उन्होंने कहा, ‘किसी मुद्दे पर जब पुनर्विचार शुरू होता है तो यह किस हद तक होना चाहिए? क्या सिर्फ एफपीआई के मामले में छूट देने की बात हो रही है? अगर ऐसा है तो फिर घरेलू निवेशकों का क्या होगा?’ वित्त मंत्री ने कहा, ‘इसलिए, मैं इस मुद्दे को यहीं छोड़ती हूं।’ 40% FPI ही सरचार्ज के दायरे में सरकार ने बजट में 2-5 करोड़ रुपये की करयोग्य आमदनी पर सरचार्ज 15 पर्सेंट से बढ़ाकर 25 पर्सेंट और 5 करोड़ से अधिक की कमाई पर 15 पर्सेंट से बढ़ाकर 37 पर्सेंट कर दिया था। यह सरचार्ज इंडिविजुअल, हिंदू अविभाजित परिवार, ट्रस्ट और असोसिएशंस ऑफ पर्संस पर लगाया गया है, लेकिन इसका असर विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों, सॉवरेन वेल्थ फंड (दूसरे देशों के सरकारी फंड) और ऑल्टरनेट इनवेस्टमेंट फंडों पर भी पड़ेगा। कहा जा रहा है कि इस सरचार्ज के कारण ही बजट के बाद से शेयर बाजार में कमजोरी बनी हुई है। देश में रजिस्टर्ड एफपीआई में से 40 पर्सेंट इस सरचार्ज के दायरे में आएंगे। ब्याज दरों में और कटौती की गुंजाइश वित्त मंत्री ने कहा कि ब्याज दरों में और कटौती की गुंजाइश है। निर्मला ने बताया, ‘मैं ब्याज दरों में कटौती की उम्मीद कर रही हूं। इसमें बड़ी कटौती होनी चाहिए। इससे देश को काफी फायदा होगा। इंडस्ट्री को भी लगता है कि इसकी गुंजाइश है।’ उन्होंने इन अटकलों को गलत बताया कि सरकार विदेश में बॉन्ड बेचकर कर्ज लेने के प्रस्ताव पर पुनर्विचार कर रही है। हालांकि, उन्होंने यह भी कहा कि अभी इस योजना को अंतिम रूप नहीं दिया गया है। विकास दर के अनुमान में कटौती से चिंतित नहीं वित्त मंत्री आर्थिक विकास दर के अनुमान में हालिया कटौती से चिंतित नहीं हैं। उन्होंने कहा कि अभी वैश्विक ग्रोथ में कमी आ रही है, इसके बावजूद भारत की जीडीपी ग्रोथ 7 पर्सेंट या इससे अधिक रहने की उम्मीद है। उन्होंने बताया, ‘मैं इससे चिंतित नहीं हूं, लेकिन मैं हालात पर नजर बनाए रखूंगी। सरकार को जो भी कदम उठाने चाहिए, हम हालात देखकर और सोच-समझकर वह काम करेंगे। हम हड़बड़ी में कुछ नहीं करने जा रहे हैं।’ पिछले हफ्ते अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) ने वित्त वर्ष 2020 के लिए भारत की जीडीपी ग्रोथ का अनुमान पहले के 7.3 पर्सेंट से घटाकर 7 पर्सेंट कर दिया था। टैक्स कलेक्शन का लक्ष्य हवा-हवाई नहीं ऐसी खबरें आई थीं कि आरएसएस और स्वदेशी जागरण मंच के विरोध को देखते हुए प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ) ने इस पर पुनर्विचार करने का सुझाव दिया था। इस सवाल के जवाब में निर्मला ने कहा, ‘मैं कोई समीक्षा नहीं कर रही हूं। मैंने किसी और को भी ऐसा करने को नहीं कहा है।’ वित्त मंत्री ने यह दावा भी किया कि बजट में टैक्स कलेक्शन के जो अनुमान दिए गए हैं, उन्हें हासिल किया जा सकता है। वित्त मंत्री ने कहा, ‘हमने जो लक्ष्य तय किए हैं, उन्हें हासिल किया जा सकता है। इनकम टैक्स डे इवेंट के दौरान भी मैंने यह बात कही थी।’ उन्होंने कहा, ‘टैक्स डिपार्टमेंट ने इस पर सहमति दी है। यह हवा-हवाई लक्ष्य नहीं है।’
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