मुंबई की अगुवाई (एआईबीओसी) में बैंक अधिकारियों के चार संगठनों ने रविवार को कहा कि चार लाख से अधिक बैंक अधिकारियों के वेतन संशोधन को अंतिम रूप देने की प्रक्रिया को पटरी से उतारने के लिए इंडियन बैंक एसोसिएशन (आईबीए) दोषी है। इस साल जुलाई में घोषित वेतन निपटान के तहत वेतन को अंतिम रूप दिया जाना था। बैंक अधिकारियों के अन्य तीन संगठन ऑल इंडिया बैंक ऑफिसर्स एसोसिएशन (एआईबीओए), इंडियन नेशनल बैंक ऑफिसर्स कांग्रेस (आईएनबीओसी) और नेशनल ऑर्गनाइजेशन ऑफ बैंक ऑफिसर्स (एनओबीओ) हैं। तीन साल की गहन बातचीत के बाद बैंक कर्मचारियों की यूनियनों और आईबीए के बीच 22 जुलाई को 15 प्रतिशत वार्षिक वेतन वृद्धि पर सहमति बनी थी, जो एक नवंबर 2017 से लागू होगी। सभी पक्षों को 22 जुलाई 2020 से 90 दिनों के भीतर वेतन निपटान को अंतिम रूप देना था। एआईबीओसी ने एक बयान में कहा, ‘‘आईबीए ने 17 अक्टूबर को अचानक बिना कोई कारण बताए एक नवंबर 2017 से अधिकारियों के वेतन संशोधन के संबंध में हुए समझौते से असमर्थता जाहिर की। उन्होंने इसके लिए बेतुका कारण बताया कि लागत की कवायद पर कर्मचारी यूनियनों के दस्तखत नहीं हुए थे।’’ इस संबंध में आईबीए की प्रतिक्रिया नहीं मिल सकी।
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