त्योहारी मांग, स्टॉक की कमी से बीते सप्ताह तेल-तिलहन कीमतों में सुधार

नयी दिल्ली, 18 अक्टूबर (भाषा) नवरात्र शुरू होने के साथ त्योहारी मांग बढ़ने और मंडियों में आवक कम होने से बीते सप्ताह दिल्ली के तेल-तिलहन बाजार में लगभग सभी तेल-तिलहन कीमतों में सुधार का रुख देखने को मिला। बाजार के जानकार सूत्रों ने कहा कि त्योहारी मांग बढ़ने के कारण सरसों, मूंगफली में तथा मध्य प्रदेश सहित कुछ राज्य सरकारों द्वारा न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) पर सोयाबीन खरीद करने के आश्वासन के कारण सोयाबीन तेलों की कीमतों में पर्याप्त सुधार आया। उन्होंने कहा कि देश के प्रमुख तेल आयातकों ने फैसला किया है कि आयात किये जाने वाले सोयाबीन डीगम तथा सीपीओ एवं पामोलीन तेल की जिस भाव पर खरीद की गई है, उसे कम भाव में नहीं बेचेंगे यानी बेपड़ता कारोबार को रोकेंगे। आयातकों के इस फैसले से सोयाबीन डीगम, सीपीओ एवं पामोलीन तेल कीमतों में भी सुधार आया। सूत्रों ने बताया कि मध्य प्रदेश में सोयाबीन की फसल और इसकी उपज अगस्त के दौरान कम बारिश के कारण प्रभावित हुई है। वहीं महाराष्ट्र में अधिक बारिश के कारण इसकी फसल प्रभावित हुई है। जिससे सोयाबीन किसानों की हालत पतली है और उनके लिए अपनी लागत निकालना मुश्किल हो रहा है। बाजार में किसान फिलहाल दागी फसलों को ला रहे हैं और बढ़िया फसल के स्टॉक को बचा रहे हैं। थोड़ी बहुत मंडी में आने वाले बेहतर फसल को स्टॉकिस्ट खरीद रहे हैं। त्योहारी मांग होने और फसल को पहुंचे नुकसान से समीक्षाधीन सप्ताह के दौरान सोयाबीन दाना और लूज की कीमतें 140-140 रुपये सुधरकर क्रमश: 4,195-4,220 रुपये और 4,065-4,095 रुपये प्रति क्विन्टल पर बंद हुईं। सोयाबीन दिल्ली, सोयाबीन इंदौर के भाव समीक्षाधीन सप्ताहांत में क्रमश: 60 रुपये और 100 रुपये सुधरकर क्रमश: 10,160 रुपये और 9,900 रुपये क्विन्टल पर बंद हुए। सोयाबीन डीगम के भाव पूर्व सप्ताहांत के स्तर पर ही अपरिवर्तित रहे। सूत्रों ने कहा कि देश में विशेष रूप से उत्तर प्रदेश, बिहार, पश्चिम बंगाल में त्योहारी मांग बढ़ने और सरसों की उपलब्धता कम होने के कारण पिछले सप्ताहांत के मुकाबले समीक्षाधीन सप्ताहांत में सरसों दाना सहित इसके सभी तेल के भाव में सुधार दर्ज हुआ। उन्होंने कहा कि नाफेड ने हरियाणा में शुक्रवार को सरसों 5,101 रुपये क्विन्टल के भाव बेची थी। नाफेड को हरियाणा के चौटाला में शनिवार को बिक्री के लिए 5,201 रुपये क्विन्टल की बोली प्राप्त हुई है। त्योहारी मांग के कारण सरसों दाना सहित उसके सभी तेल की कीमतों में सुधार आया। उन्होंने कहा कि नाफेड को सोच-समझ के साथ सीमित मात्रा में सरसों की बिकवाली करना होगी, क्योंकि अगली पैदावार आने में अभी पांच-छह महीने का समय है और त्योहारों के साथ साथ सर्दियों की मांग भी बढ़ने वाली है। आलोच्य सप्ताह के दौरान घरेलू तेल-तिलहन बाजार में सरसों दाना (तिलहन फसल) पिछले सप्ताहांत के मुकाबले 95 रुपये का सुधार दर्शाता 5,650-5,690 रुपये और सरसों तेल (दादरी) 300 रुपये के सुधार के साथ 11,250 रुपये प्रति क्विन्टल पर बंद हुआ। जबकि सरसों पक्की घानी और सरसों कच्ची घानी की कीमतें 35-35 रुपये सुधरकर क्रमश: 1,745-1,895 रुपये और 1,865-1,975 रुपये प्रति टिन पर बंद हुईं। उन्होंने सुझाव दिया कि सरकार को तिलहनों का भी बफर स्टॉक बनाना चाहिये तथा देशी स्तर पर तिलहन उत्पादन बढ़ाने के साथ सस्ते आयातित तेलों पर आयात शुल्क बढ़ाना चाहिये ताकि हमारे तिलहन उत्पाद आयातित तेलों की प्रतिस्पर्धा का सामना कर सकें। उन्होंने कहा कि बफर स्टॉक के कारण देशी तिलहन पूरा का पूरा बाजार में खप जायेगा और किसानों को इससे फायदा होगा। गुजरात सहित कुछ अन्य राज्य सरकारों द्वारा एमएसपी पर मूंगफली खरीद करने के आश्वासन के बाद किसान कम मात्रा में उपज को मंडियों में ला रहे हैं। इसके अलावा इसकी निर्यात मांग भी बढ़ी है जिससे पिछले सप्ताहांत के मुकाबले मूंगफली दाना 160 रुपये के सुधार के साथ 5,175-5,225 रुपये प्रति क्विन्टल पर बंद हुआ। इसके अलावा मूंगफली तेल गुजरात 350 रुपये के सुधार के साथ 12,850 रुपये प्रति क्विन्टल पर बंद हुआ, जबकि मूंगफली साल्वेंट रिफाइंड 55 रुपये का सुधार दर्शाता 1,950-2,000 रुपये प्रति टिन पर बंद हुआ। समीक्षाधीन सप्ताहांत में पामोलीन दिल्ली और पामोलीन एक्स-कांडला की कीमत क्रमश: 100-100 रुपये के सुधार के साथ क्रमश: 9,400 रुपये और 8,600 रुपये प्रति क्विन्टल पर बंद हुईं। स्थानीय मांग के कारण बिनौला मिल डिलिवरी (हरियाणा) का भाव भी 50 रुपये सुधरकर समीक्षाधीन सप्ताहांत में 9,100 रुपये प्रति क्विन्टल पर बंद हुआ।


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