नई दिल्ली कोरोना वायरस की वजह से हो गई है। उनकी मौत गुरुवार को कोलकाता के अस्पताल में हुई। वह कुछ दिन पहले ही 20 सितंबर को 68 साल के हुए थे। 15 सितंबर को उन्हें सांस लेने में दिक्कत और किडनी में परेशानी की वजह से अस्पताल में भर्ती किया गया था। शेखर बसु ने बहुत सारे रिसर्च और डेवलपमेंट के प्रोग्राम में अहम भूमिका निभाई थी। वह ऑटोमिक एनर्जी कमीशन के चेयरमैन भी रह चुके थे। इतना ही नहीं, भाभा ऑटोमिक रिसर्च सेंटर में वह डायरेक्टर पद पर भी नियुक्त हुए थे। ऑटोमिक एनर्जी डिपार्टमेंट में उन्होंने सचिव के रूप में भी अपनी सेवाएं दी थीं। एक महान वैज्ञानिक की मौत पर खुद पीएम मोदी ने भी दुख व्यवक्त किया है। उन्होंने एक ट्वीट में कहा है कि देश को न्यूक्लियर साइंस और एनर्जी के क्षेत्र में आगे ले जाने में शेखर बसु का बहुत बड़ा योगदान है शेखर बसु को 2014 में पद्म श्री के सम्मान से नवाजा गया था। ये सम्मान उन्हें देश के विकास में दिए अहम योगदान के लिए दिया गया था। उन्होंने देश की पहली न्यूक्लियर पावर से चलने वाली सबमरीन आईएनएस अरिहंत के लिए रिएक्टर बनाने में भी अहम भूमिका निभाई थी। वह तारापुर और कालपक्कम के न्यूक्लियर रीसाइकिल प्लांट्स के डिजाइन, डेवलपमेंट, निर्माण और ऑपरेशन में भी शामिल थे।
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