CAG की रिपोर्ट से रेलवे बोर्ड नाराज, जानिए किस बात पर है आपत्ति

नई दिल्ली CAG (Controller and Auditor General) ने हाल में संसद में पेश अपनी एक रिपोर्ट में कहा था कि सरकार ने सरकार ने रेलवे को गलत तरीके से फायदे में दिखाया और ऑपरेटिंग कॉस्ट (Operating Cost) में हेरफेर की। रेलवे ने अपनी आर्थिक स्थिति को बेहतर दिखाने के लिए भविष्य की कमाई को अपने खाते में जोड़कर दिखाया। CAG के मुताबिक रेलवे ने वर्ष 2018-19 में कमाई के आंकड़ों को गलत तरीके से पेश कर रेलवे ने 3773.86 करोड़ रुपये फायदा दिखाया। असल में इस वित्त वर्ष में उसका ग्रोथ नेगेटिव रहा है। रेलवे ने अगर सही आंकड़े दिखाए होते तो उसे करीब 7334.85 करोड़ का नुकसान होता। सीएजी की इस टिप्पणी से रेलवे बोर्ड (Railway Board) नाराज है और उसने इसे हटाने की मांग की है। रेलवे के एक अधिकारी ने कहा कि इस तरह की टिप्पणी की जरूरत नहीं थी क्योंकि यही स्टैंडर्ड अकाउंटिंग प्रैक्टिस (Standard Accounting Practices) रही है। उन्होंने कहा कि वित्त वर्ष 2018 में एडवांस फ्रेट पॉलिसी (Advance Freight Policy) शुरू की गई थी। वित्त वर्ष 2018 में भी एडवांस फ्रेट को शामिल किया गया था। इसलिए यह मेरी समझ से बाहर है कि इस तरह की टिप्पणी क्यों की गई। सीएजी ने क्या कहा हैसीएजी की रिपोर्ट में कहा भी गया है कि रेलवे ने वर्ष 2018-19 में अपना ऑपरेटिंग रेश्यो 97.29 फीसदी दिखाया है। हालांकि बजट अनुमानों के मुताबिक रेलवे को अपना ऑपरेटिंग रेश्यो 92.8 फीसदी रखना था। फिर भी जो आंकड़े रेलवे की तरफ से दिखाए गए उसके लिए गलत तरीका अपनाया गया। भविष्य की कमाई के आंकड़ों को भी शामिल किया। रेलवे ने NTPC और CONCOR से भविष्य में मिलने वाले 8,351 करोड़ का माल भाड़ा अपने खाते में जोड़ा। इस तरह से खातों में रेलवे की कमाई ज्यादा दिखाई गई। अगर ऐसा नहीं किया जाता तो असल में रेलवे का ऑपरेटिंग रेश्यो साल 2018 के लिए 101.77 होता। यानी उस दौरान रेलवे ने 100 रुपये कमाने के लिए करीब 102 रुपये खर्च किए। ऑपरेटिंग रेश्यो से ही रेलवे की आर्थिक दशा का अंदाजा लगाया जा सकता है। टिप्पणी को हटाने की मांगरेलवे ने सीएजी को एक पत्र भेजकर इस टिप्पणी को हटाने का अनुरोध किया है। इसमें कहा गया है कि रेलवे ने एडवांस फ्रेट पॉलिसी बनाई है जो रेलवे और स्टेकहोल्डर्स दोनों के लिए फायदेमंद है। रेलवे के वरिष्ठ अधिकारियों का कहना है कि सीएजी की टिप्पणी उचित नहीं है। रेलवे को सामाजिक सेवा के दायित्वों को पूरा करने के साथ-साथ अपने कर्मचारियों का वेतन और पेंशन भी देनी पड़ती है। उनका कहना है कि पिछले कुछ सालों में रेलवे के कामकाज में सुधार हुआ है लेकिन सातवें पे कमीशन को लागू करने से सैलरी और पेंशन का बिल बढ़ गया है।


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