क्वेटा पाकिस्तान में इमरान खान सरकार को उखाड़ फेंकने के लिए विपक्षी पाकिस्तान डेमोक्रेटिक मूवमेंट की ओर से आयोजित तीसरी रैली में देश को बनाने की मांग से पाकिस्तान में विवाद पैदा हो गया है। PDM की इस जोरदार रैली में जमियत उलेमा-ए-पाकिस्तान के नेता औवैस नूरानी ने आजाद बलूचिस्तान बनाए जाने का ऐलान किया। उन्होंने कहा कि बलूचिस्तान की जनता को लुटेरे और डाकू लूट रहे हैं, हम उसे निजात दिलाएंगे। आजाद बलूचिस्तान देश बनाए जाने के इस ऐलान से इमरान खान सरकार को तीखी मिर्ची लगी है। बलूचिस्तान के कठपुतली मुख्यमंत्री जाम कमला खान अलयानी ने नूरानी के बयान की निंदा की और कहा कि क्या यह पाकिस्तान डेमोक्रेटिक मूवमेंट की रैली है या बीजेपी की? उन्होंने कहा कि पीडीएम के नेता बलूचिस्तान को एक छोटा प्रांत बनाना बंद करें। बलूचिस्तान से लगातार गायब होते लोगों का मुद्दा उठा विपक्ष की रैली में बलूचिस्तान से लगातार गायब होते लोगों का मुद्दा उठा। मरियम नवाज शरीफ ने पाकिस्तानी सेना और आईएसआई पर निशाना साधते हुए कहा कि बलूचिस्तान से लोग गायब हो रहे हैं और इमरान सरकार खामोश बैठी हुई है। दरअसल, चीन के उपनिवेश बनते जा रहे पाकिस्तान के बलूचिस्तान प्रांत में ड्रैगन ने अरबों डॉलर का निवेश किया है। यह इलाका प्राकृतिक संसाधनों से भरा हुआ है और यहां से खनिज निकालकर पाकिस्तान के सेना के प्रभाव वाला पंजाब राज्य और ज्यादा अमीर होता जा रहा है। बलूचिस्तान को स्थानीय लोगों की जमीनी लेकर उसे चीन को दी जा रही हैं और स्थानीय लोग इसका विरोध करते हैं तो उन्हें आईएसआई उठा ले जाती है। बाद में उनकी लाशें मिलती हैं। पाकिस्तानी सेना के इस क्रूर कार्रवाई का स्थानीय जनता जोरदार तरीके से जवाब दे रही है। बलूचिस्तान प्रांत में उग्रवादियों ने पाक सेना के नाक में दम कर रखा है। पिछले दिनों उग्रवादियों ने पाकिस्तानी अर्धसैनिक बलों की सुरक्षा में जा रहे पाकिस्तानी तेल एवं गैस कर्मचारियों के काफिले पर हमला किया, जिसमें 14 जवान मारे गए। बलूचिस्तान में पहले भी होते रहे हैं हमले शुरू में, हमले का दावा बलूचिस्तान लिबरेशन फ्रंट ने किया लेकिन बाद में एक नए उग्रवादी संगठन ने भी हमले की जिम्मेदारी ली। पाकिस्तानी अधिकारियों ने बताया कि उग्रवादियों के इस हमले में पाकिस्तानी ऑयल एंड गैस डेवलपमेंट कंपनी के सात कर्मचारी भी मारे गए। इसके अलावा काफिले की सुरक्षा कर रही पाकिस्तान फ्रंटियर कोर के 6 सैनिकों की भी मौत हुई है। इस इलाके में पहले भी सुरक्षाबलों पर बड़े पैमाने पर हमले होते आए हैं। वहीं गुरुवार को ही आतंकियों ने उत्तरी वजीरिस्तान में एक और सैन्य काफिले को निशाना बनाया। इस हमले में पाकिस्तानी सेना के एक अधिकारी समेत छह सैन्यकर्मी मारे गए। सेना ने एक बयान में कहा कि आतंकवादियों ने उत्तरी वजीरिस्तान के रजमाक क्षेत्र के पास आईईडी के जरिए सैन्य काफिले को निशाना बनाया। कौन हैं बलूचिस्तान लिबरेशन फ्रंट बलूचिस्तान लिबरेशन आर्मी की शुरुआत 1970 के दशक में ज़ुल्फ़िक़ार अली भुट्टो के शासनकाल में हुई थी। उस समय इस छोटे से आतंकी संगठन ने बलूचिस्तान के इलाके में पाक सेना के नाक में दम कर रखा था। जब पाकिस्तान में सैन्य तानाशाह जियाउल हक सत्ता में आए तो उन्होंने बलूच नेताओं से बातचीत कर इस संगठन के साथ अघोषित संघर्ष विराम कर लिया। इस संगठन में मुख्य रूप से पाकिस्तान के दो ट्राइब्स मिरी और बुगती लड़ाके शामिल हैं। परवेज मुशर्रफ के कार्यकाल से भड़का बलोचों का गुस्सा उस समय से बलूचिस्तान लिबरेशन आर्मी काफी समय तक किसी बड़ी घटना को अंजाम नहीं दिया। लेकिन, जब परवेज मुशर्रफ ने पाकिस्तान में सत्ता संभाली तब साल 2000 के आसपास बलूचिस्तान हाईकोर्ट के जस्टिस नवाब मिरी की हत्या हो गई। पाकिस्तानी सेना ने सत्ता के इशारे पर इस केस में बलूच नेता खैर बक्श मिरी को गिरफ्तार कर लिया। इसके बाद से बलूच लिबरेशन आर्मी ने अपने ऑपरेशन को फिर से शुरू कर दिया। सीपीईसी का विरोध, किए कई हमले बलूचिस्तान लिबरेशन आर्मी ने हमेशा से चीन पाकिस्तान आर्थिक कॉरिडोर का विरोध किया है। कई बार इस संगठन के ऊपर पाकिस्तान में काम कर रहे चीनी नागरिकों को निशाना बनाए जाने का आरोप भी लगे हैं। 2018 में इस संगठन पर कराची में चीन के वाणिज्यिक दूतावास पर हमले के आरोप भी लगे थे। आरोप हैं कि पाकिस्तान ने बलूच नेताओं से बिना राय मशविरा किए बगैर सीपीईसी से जुड़ा फैसला ले लिया।
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