आतंकी हमले में 15 सैनिकों की हत्या, पाकिस्तानी सेना को इतना बड़ा जख्म देने वाले कौन हैं?

इस्लामाबाद के बलूचिस्तान प्रांत में उग्रवादियों ने पाक सेना के नाक में दम कर रखा है। गुरुवार को उग्रवादियों ने पाकिस्तानी अर्धसैनिक बलों की सुरक्षा में जा रहे पाकिस्तानी तेल एवं गैस कर्मचारियों के काफिले पर हमला किया, जिसमें 15 लोग मारे गए। शुरू में, हमले का दावा बलूचिस्तान लिबरेशन फ्रंट ने किया लेकिन बाद में एक नए उग्रवादी संगठन ने भी हमले की जिम्मेदारी ली। पहले भी होते रहे हैं हमले पाकिस्तानी अधिकारियों ने बताया कि उग्रवादियों के इस हमले में पाकिस्तानी ऑयल एंड गैस डेवलपमेंट कंपनी के सात कर्मचारी मारे गए। इसके अलावा काफिले की सुरक्षा कर रही पाकिस्तान फ्रंटियर कोर के 8 सैनिकों की भी मौत हुई है। इस इलाके में पहले भी सुरक्षाबलों पर बड़े पैमाने पर हमले होते आए हैं। वहीं गुरुवार को ही आतंकियों ने उत्तरी वजीरिस्तान में एक और सैन्य काफिले को निशाना बनाया। इस हमले में के एक अधिकारी समेत छह सैन्यकर्मी मारे गए। सेना ने एक बयान में कहा कि आतंकवादियों ने उत्तरी वजीरिस्तान के रजमाक क्षेत्र के पास आईईडी के जरिए सैन्य काफिले को निशाना बनाया। कौन हैं बलूचिस्तान लिबरेशन फ्रंट की शुरुआत 1970 के दशक में ज़ुल्फ़िक़ार अली भुट्टो के शासनकाल में हुई थी। उस समय इस छोटे से आतंकी संगठन ने बलूचिस्तान के इलाके में पाक सेना के नाक में दम कर रखा था। जब पाकिस्तान में सैन्य तानाशाह जियाउल हक सत्ता में आए तो उन्होंने बलूच नेताओं से बातचीत कर इस संगठन के साथ अघोषित संघर्ष विराम कर लिया। इस संगठन में मुख्य रूप से पाकिस्तान के दो ट्राइब्स मिरी और बुगती लड़ाके शामिल हैं। परवेज मुशर्रफ के कार्यकाल से भड़का बलोचों का गुस्सा उस समय से बलूचिस्तान लिबरेशन आर्मी काफी समय तक किसी बड़ी घटना को अंजाम नहीं दिया। लेकिन, जब परवेज मुशर्रफ ने पाकिस्तान में सत्ता संभाली तब साल 2000 के आसपास बलूचिस्तान हाईकोर्ट के जस्टिस नवाब मिरी की हत्या हो गई। पाकिस्तानी सेना ने सत्ता के इशारे पर इस केस में बलूच नेता खैर बक्श मिरी को गिरफ्तार कर लिया। इसके बाद से बलूच लिबरेशन आर्मी ने अपने ऑपरेशन को फिर से शुरू कर दिया। 2006 में पाक ने घोषित किया आतंकी संगठन इसके बाद बलूचिस्तान के इलाके में पाकिस्तानी सेना और पुलिस पर हमलों की संख्या में जोरदार इजाफा देखने को मिला। इनकी हिंसा से तंग आकर पाकिस्तान सरकार ने 2006 में बलूचिस्तान लिबरेशन आर्मी को आतंकी संगठन घोषित कर दिया। पाकिस्तानी सरकार ने कहा कि यह संगठन कई आतंकी घटनाओं में शामिल रहा है और इसके नेता नवाबजादा बालाच मिरी के आदेश पर हमलों को अंजाम दिया। हीरबयार मिरी को बनाया गया कमांडर 2007 में नवाबजादा बालाच मिरी के मौत के बाद उसके भाई हीरबयार मिरी को बलूचिस्तान लिबरेशन आर्मी की कमान सौंपी गई। हालांकि ब्रिटेन में रहने वाले हीरबयार मिरी ने कभी भी इस संगठन का मुखिया होने के दावे को स्वीकार नहीं किया। जिसके बाद असलम बलोच इस संगठन का सर्वेसर्वा बना। सीपीईसी का विरोध, किए कई हमले बलूचिस्तान लिबरेशन आर्मी ने हमेशा से चीन पाकिस्तान आर्थिक कॉरिडोर का विरोध किया है। कई बार इस संगठन के ऊपर पाकिस्तान में काम कर रहे चीनी नागरिकों को निशाना बनाए जाने का आरोप भी लगे हैं। 2018 में इस संगठन पर कराची में चीन के वाणिज्यिक दूतावास पर हमले के आरोप भी लगे थे। आरोप हैं कि पाकिस्तान ने बलूच नेताओं से बिना राय मशविरा किए बगैर सीपीईसी से जुड़ा फैसला ले लिया। मुशर्रफ के इशारे पर की गई नवाब बुगती की हत्या पाकिस्तानी सेना ने साल 2006 में परवेज मुशर्रफ के इशारे पर बलूचिस्तान के सबसे प्रभावशाली नेता नवाब अकबर बुगती की हत्या कर दी थी। मुशर्रफ को उनकी हत्या के मामले में साल 2013 में गिरफ्तार भी किया गया था। मुशर्रफ ने उस समय अपने बचाव में कहा था कि ये नेता तेल और खनिज उत्पादन में होने वाली आय में हिस्सेदारी की मांग कर रहे थे। बलूचिस्तान की रणनीतिक स्थिति पाकिस्तान में बलूचिस्तान की रणनीतिक स्थिति है। पाक से सबसे बड़े प्रांत में शुमार बलूचिस्तान की सीमाएं अफगानिस्तान और ईरान से मिलती है। वहीं कराची भी इन लोगों की जद में है। चीन-पाकिस्तान इकोनॉमिक कॉरिडोर का बड़ा हिस्सा इस प्रांत से होकर गुजरता है। ग्वादर बंदरगाह पर भी बलूचों का भी नियंत्रण था जिसे पाकिस्तान ने अब चीन को सौंप दिया है।


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