नई दिल्ली वित्त मंत्रालय ने सोमवार को कहा कि बैंकों ने योजना (केसीसी) से डेढ़ करोड़ किसानों को जोड़ा है और उनके लिए 1.35 लाख करोड़ रुपये के रियायती ऋण मंजूर किए हैं। मंत्रालय ने कोविड-19 संकट के दौरान ‘आत्मनिर्भर भारत अभियान’ के तहत इस योजना से 2.5 करोड़ किसानों को जोड़ने की घोषणा की थी। इसकी वजह संकट की घड़ी में किसानों को उनकी वित्तीय जरूरत पूरा करने में मदद करना और अर्थव्यवस्था में दो लाख करोड़ रुपये की ऋण सहायता डालना रही। वित्त मंत्रालय ने आधिकारिक बयान में कहा, ‘‘बैंकों और अन्य संबधित पक्षों ने सही दिशा में किए निरंतर प्रयास कर सस्ती ब्याज दर पर ऋण उपलब्ध कराने के लिए मछली पालकों, पशु पालकों समेत 1.5 करोड़ किसानों को केसीसी जारी करने की उपलब्धि हासिल की है। जारी किए गए सभी किसान क्रेडिट कार्डों के लिए खर्च की कुल सीमा 1.35 लाख करोड़ रुपये है।’’ केसीसी योजना 1998 में शुरू की गई थी। इसका उद्देश्य किसानों को कृषि गतिविधियों के लिए बिना किसी बाधा के समय पर ऋण उपलब्ध कराना था। भारत सरकार किसान क्रेडिट कार्ड के तहत किसानों को ब्याज पर दो प्रतिशत की आर्थिक सहायता देती है और समय पर ऋण चुकाने वाले किसानों को तीन प्रतिशत की प्रोत्साहन छूट देती है। इस तरह केसीसी पर सालाना ब्याज दर चार प्रतिशत की आती है। सरकार ने किसानों के हित में बड़े कदम उठाते हुए 2019 में केसीसी में ब्याज़ दर में आर्थिक सहायता का प्रावधान शामिल करते हुए इसका लाभ डेयरी उद्योग समेत पशुपालकों और मछ्ली पालकों को भी देने की व्यवस्था सुनिश्चित की है। साथ ही बिना किसी गारंटी के दिये जाने वाले केसीसी ऋण की सीमा को 1 लाख से बढ़ाकर 1.60 लाख कर दिया है। सस्ती ब्याज दर पर ऋण उपलब्ध कराने के इस अभियान से न सिर्फ किसानों की आय में बढ़ोतरी होगी बल्कि इससे ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूती मिलेगी और कृषि तथा इससे जुड़े क्षेत्रों में उत्पादन बढ़ेगा। हमारे देश के लिए खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करने की दिशा में भी इस मुहिम की विशेष भूमिका होगी।
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