डिफेंस सेक्टर में एफडीआई की सीमा बढ़ी, लेकिन सरकार ने जोड़ी यह 'शर्त'

नई दिल्ली सरकार ने रक्षा निर्माण क्षेत्र में निवेश बढ़ाने के लिए FDI की सीमा ऑटोमैटिक रूट के जरिए 49 फीसदी से बढ़ा कर 74 फीसदी करने की नीति को मंजूरी दे दी है। लेकिन इसमें राष्ट्रीय सुरक्षा (National Security) की शर्त जोड़ी गई है। इस नीति को केंद्रीय मंत्रिमंडल ने मंगलवार को मंजूरी दी थी। सूत्रों के मुताबिक इसमें नई शर्त जोड़ने का प्रस्ताव वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय ने रखा था। इसके मुताबिक रक्षा के क्षेत्र में विदेशी निवेश की नेशनल सिक्योरिटी के आधार पर जांच की जाएगी और सरकार के पास इसकी समीक्षा का अधिकार होगा। मौजूदा नीति के तहत डिफेंस इंडस्ट्री 49 फीसदी तक एफडीआई ऑटोमैटिक रूट से ला सकती है और इससे अधिक एफडीआई के लिए सरकार से मंजूरी लेने की जरूरत है। अब तक कितना एफडीआईवित्त मंत्री निर्मला सीतारमण (Finance Minister Nirmala Sitaraman) ने पांच किस्तों में पीएम मोदी के 20 लाख करोड़ रुपये के मेगापैकेज की रूपरेखा देश के सामने रखी थी। इस दौरान उन्होंने रक्षा सेक्टर में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) की सीमा को 49 फीसदी से बढ़ाकर 74 फीसदी करने का एलान किया था। इससे पहले जुलाई 2018 में सरकार ने रक्षा निर्माण के क्षेत्र में 49% FDI को ऑटोमैटिक रूट से अनुमति दी थी। भारत में रक्षा क्षेत्र में 70% आयात होता है और भारत में रक्षा निर्माण को बढ़ाना देने के लिए यह फैसला किया गया था। हालांकि इस क्षेत्र में विदेशी निवेश अधिक नहीं आया है। अप्रैल 2000 से मार्च 2020 के बीच 20 साल में केवल 56.88 करोड़ रुपये का विदेशी निवेश हुआ है, अब निवेश की सीमा बढ़ाने से सरकार को उम्मीद कि निवेश बढ़ेगा। देश में मैन्युफैक्चरिंग को बढ़ावा देने के लिए सरकार को जोर डिफेंस सेक्टर पर है। सरकार का लक्ष्य 2025 तक इसका टर्नओवर 1.75 लाख करोड़ टन पहुंचाने का है।


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