नई दिल्ली घनश्याम माइल्ड कलर ब्लाइंड है, तब भी उसे मोटरसाइकिल (Motorcycle) चलाना भाता है। लेकिन वह मोटरसाइकिल नहीं चला पाता, क्योंकि उसे आरटीओ दफ्तर से ड्राइविंग लाइसेंस ()या डीएल () इश्यू नहीं किया गया है। अब घनश्याम जैसे लाखों लोग, जो माइल्ड या मीडियम कलर ब्लाइंड (Mild or Medium colour blind) हैं, उन्हें भी डीएल इश्यू किया जाएगा। इससे संबंधित प्रस्ताव को केंद्र सरकार की हरी झंडी (Green signal from Central Government) मिल गई है। माइल्ड या मीडिया कलर ब्लाइंडनेस, कोई दिक्कत नहीं केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी के मुताबिक अब माइल्ड या मीडियम कलर ब्लाइंडनेस किसी को ड्राइविंग लाइसेंस ईश्यू किए जाने में रोड़ा नहीं बनेगा। मंत्रालय ने इसके लिए केंद्रीय मोटर वाहन कानून में संशोधन करते हुए संबंधित गजट नोटिफिकेशन जारी कर दिया है। कलर ब्लाइंडनेस की समस्या वाले लोगों की मांग को ध्यान में रखते हुए मंत्रालय ने केंद्रीय मोटर वाहन नियम 1989 के फॉर्म 1 और 1A में परिवर्तन कर दिया है ताकि इन्हें डीएल जारी किया जा सके। यह भी पढ़ें: मानवीय आधार पर लिया गया फैसला मंत्रालय के अधिकारियों ने बताया कि इस मुद्दे को बहुत ही संवेदना के साथ परीक्षण किया गया। क्योंकि कुछ देशों में एक सीमा तक कलर ब्लाइंडनेस वाले लोगों को ड्राइविंग लाइसेंस ईश्यू किया जा रहा है और भारत में इन्हें डीएल नहीं दिया जाता। माइल्ड और मीडियम कलर ब्लाइंड व्यक्ति को डीएल देने की मांग पर इसलिए ही गंभीरता पूर्वक विचार किया गया और अब इन्हें डीएल जारी करने का फैसला कर लिया गया है। मेडिकल फिटनेस जरूरी उन्होंने बताया कि अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (AIIMS) के नेत्र रोग विशेषज्ञ से सुझाव लेने के बाद इसे अमलीजामा पहनाया गया है। पहले ड्राइविंग लाइसेंस के फॉर्म 1 और 1A में कुछ ऐसे सवाल थे, जो कि ऐसे लोगों को डीएल जारी करने की राह में रोड़ा बने हुए थे। अब इन फार्मों को संशोधित कर दिया गया है। हालांकि, आवेदक के लिए मेडिकल फिटनेस का सर्टिफिकेट अनिवार्य किया गया है। साथ ही डीएल चाहने वाले को यह सिद्ध करना होगा कि वह हल्के या मध्यम कलर ब्लाइंडनेस से ही पीड़ित है, गंभीर से नहीं।
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