चीनी सामान के बहिष्कार की गूंज के बीच व्यापारी संगठन ने कहा; पड़ोसी का माल सस्ता नहीं होता

(अजय श्रीवास्तव) नयी दिल्ली, 28 जून (भाषा) लद्दाख की गलवान घाटी में चीन की हमलावर हरकतों के बीच भारत में वहां के माल के बहिष्कार की गूंज के बीच देश के खुदरा व्यापारियों के प्रमुख संगठन कनफेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (कैट) के महासचिव प्रवीण खंडेलवाल का मानना है कि यह भ्रम है कि चीन का सामान सस्ता होता है। ‘चीनी माल के बहिष्कार-अभियान में अग्रणी भूमिका निभा रहे खंडेलवाल ने ‘भाषा’ से बातचीत में कहा, ‘‘तैयार माल को देखें तो 80 प्रतिशत उत्पाद ऐसे हैं, जिनमें भारत और चीन के सामान का दाम लगभग समान है। भारतीय उत्पादों की गुणवत्ता भी बेहतर होती है। चीन के उत्पाद ‘यूज एंड थ्रो’ वाले होते है। हमारे उत्पादों के साथ ऐसा नहीं है। इसके अलावा भारतीय सामान के साथ गारंटी भी होती है।’उन्होंने कहा , ‘‘चीन की रणनीति है। वह अपने सामान को किफायती बताकर उसे भारतीय बाजारों में पाटता रहा है। हालांकि, अब लोगों की धारणा बदल रही है।’’ कैट ने 10 जून से चीनी सामानों के बहिष्कार का अभियान शुरू किया है। इसमें कैट ने बॉलीवुड की हस्तियों, क्रिकेट खिलाड़ियों तथा मुकेश अंबानी और रतन टाटा जैसे दिग्ग्ज उद्योपतियों का सहयोग मांगा है। खंडेलवाल ने कहा, ‘‘‘हम पूरी तरह चीन के आयात पर निर्भरता समाप्त कर सकते हैं। बशर्ते सरकार, उद्योग और व्यापार मिलकर काम करें।’’ उन्होंने कहा कि पहले हम पीपीई किट, मास्क और वेंटिलेटर नहीं बनाते थे। कोविड-19 ने अवसर दिया और आज हम इनके विनिर्माण में दुनिया के कई देशों को पीछे छोड़ चुके हैं। उन्होंने कहा कि सरकार उद्योग के लिए प्रत्येक जिले में कम से कम 50 एकड़ जमीन चिह्नित करे। वहां हम अपनी विनिर्माण इकाइयां लगा सकते हैं। इसके अलावा सरकार को उद्योग को सस्ता कर्ज उपलब्ध कराना चाहिए। भारत में श्रम सस्ता है, जमीन उपलब्ध है, उपभोग के लिए बड़ी आबादी है। अगर सब मिलकर चलें, तो कोई वजह नहीं कि हम अगले चार-पांच साल में चीन से आयात पूरी तरह समाप्त करने में सफल हो सकते हैं। उन्होंने कहा कि चीनी सामान के बहिष्कार का अभियान कई साल से चल रहा है। यहीं वजह है कि अब होली, दिवाली जैसे भारतीय त्योहारों पर व्यापारियों ने चीन से आयात काफी कम कर दिया है। उन्होंने कहा कि चीन मुख्य रूप से तैयार माल, कच्चे माल, कलपुर्जों तथा प्रौद्योगिकी उत्पादों का निर्यात भारत को करता है। यदि हम सिर्फ तैयार माल मसलन फुटवियर, चमड़े का बैग या फिर किचन आदि का सामान ही चीन से मंगाना बंद कर दें, तो चीन पर हमारी निर्भरता 20 प्रतिशत घट जाएगी। उन्होंने कहा कि ताइवान, वियतनाम, जापान, दक्षिण कोरिया, जर्मनी और यहां तक कि आस्ट्रेलिया से भी हम आयात बढ़ाकर चीन को जवाब दे सकते हैं। खंडेलवाल कहते हैं कि चीन के पास कोई रॉकेट साइंस नहीं है। चीन ने सिर्फ सस्ते के नाम पर भारतीय बाजार में कब्जा किया है। उपभोक्ताओं के व्यवहार से उसने जाना कि सस्ते उत्पादों के जरिये वह भारतीय बाजार पर कब्जा कर सकता है। लेकिन अब समय बदल रहा है। लोग भी चीन का सामान नहीं खरीदना चाहते, व्यापारी भी बेचना नहीं चाहते।


from Latest Business News in Hindi - बिज़नेस खबर, बिज़नेस समाचार, व्यवसाय न्यूज हिंदी में | Navbharat Times https://bit.ly/3dzgLMk
Previous Post
Next Post
Related Posts