नई दिल्ली ग्रामीण इलाकों में एफएमसीजी प्रोडक्ट्स ( demand in rural india) का उपभोग काफी बढ़ गया है। यहां तक कि इसने शहरों को भी पीछे छोड़ दिया है। सेल्स के आंकड़े तो कोरोना से पहले के 85 फीसदी के स्तर तक जा पहुंचे हैं। इसकी वजह ये है कि लोगों को फार्म से कमाई हो रही है, गांव में दुकानें आसानी से खुल रही हैं और लॉकडाउन की वजह से प्रवासी मजदूर भी गांव जा पहुंचे हैं। अगर तुलना करें तो शहरी बाजार में सेल्स नील्सन के आंकड़ों के मुताबिक ग्रामीण इलाकों से कम है, जो 70 फीसदी पर है। आने वाले 9 महीनों में पूरा एफएमसीजी सेक्टर शहरी इलाकों में करीब 5 फीसदी की दर से बढ़ सकता है, लेकिन ग्रामीण इलाकों में ये ग्रोथ दोगुनी हो सकती है। ये पिछले दो सालों के मुकाबले में उल्टा ट्रेंड है। यह भी पढ़ें- आधे दर्जन से भी अधिक एफएमसीजी कंपनियों को उम्मीद है कि इस वित्त वर्ष में उनके प्रोडक्ट की गांव से अधिक मांग आएगी, क्योंकि शहरों में अधिकतर इलाके कोरोना की वजह से तनाव में हैं। हिंदुस्तान यूनीलीवर, नेस्ले, डाबर और पारले को उम्मीद है कि उनके प्रोडक्ट की मांग गांव से अधिक होगी। डाबर इंडिया के सीईओ मोहित मल्होत्रा ने कहा कि गांव से आने वाली मांग शहरों के मुकाबले अधिक बनी रहेगी।
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