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नई दिल्ली भारत ने सोमवार को चीन के 59 ऐप पर प्रतिबंध लगा दिया था। सरकार ने इस ऐप के प्रतिनिधियों को अपना पक्ष रखने का मौका दिया है। इसके लिए एक समिति का गठन किया है जिसकी आज बैठक हो सकती है। चीन के प्रतिबंधित ऐप के प्रतिनिधि इस समिति में अपना पक्ष रख सकते हैं। उन्हें यह साबित करना होगा कि भारतीय यूजर्स के डेटा को चीन के सर्वरों में नहीं भेजा जा रहा है। यह समिति इन ऐप की डेटा शेयरिंग प्रैक्टिसेज का विस्तार से जांच करेगी। इनमें टिकटॉक, हेलो और वीचैट जैसे टॉप सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म शामिल हैं।टिकटॉक, बीगो लाइव और लाइकी जैसे ऐप के अधिकारियों ने कहा कि वे जांच में सरकार के साथ सहयोग करेंगे और उन्होंने इसकी प्रक्रिया शुरू कर दी है। कौन-कौन होगा समिति में इस समिति में गृह मंत्रालय, इलेक्ट्रॉनिक्स एव आईटी मंत्रालय, सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय, विधि एवं कानून मंत्रालय के अधिकारी शामिल होंगे। साथ ही इंटरनेट सिक्योरिटी के लिए देश की नोडल एजेंसी सीईआरटी-इन के डायरेक्टर जनरल संजय बहल भी इसका हिस्सा होंगे। एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि राष्ट्रीय सुरक्षा और पब्लिक ऑर्डर के लिए खतरे के मद्देनजर ऐसे समय में यह प्रतिबंध जरूरी था जब चीन के साथ तनाव बढ़ रहा है। उन्होंने कहा कि कानून के एमरजेंसी प्रावधानों के तहत चीन के ऐपों पर प्रतिबंध लगाया गया है। ऐसी आशंका थी कि इनमें से कुछ का इस्तेमाल भारतीयों की जासूसी करने के लिए किया जा रहा है। चीन ने जताई नाराजगी चीन ने मंगलवार को एक बयान जारी कर इस मुद्दे पर नाराजगी जताई थी। चीनी दूतावास के प्रवक्ता जी रॉन्ग ने कहा कि भारत की कार्रवाई डब्ल्यूटीओ के नियमों का उल्लंघन है। उन्होंने कहाकि यह उपभोक्ताओं के हितों और बाजार प्रतिस्पर्धा के भी खिलाफ है। साथ ही इससे भारत में स्थानीय रोजगार भी प्रभावित होगा। हालांकि सरकारी अधिकारियों ने विश्वास जताया कि लगाने का फैसला कानून की कसौटी पर खरा उतरेगा। एक अधिकारी ने कहा कि यह एक अंतरिम आदेश है और ये सारे प्रावधान कानून में हैं। भारत में टिकटॉक के प्रमुख निखिल गांधी ने कहा कि कंपनी को सरकारी अधिकारियों से मिलकर अपना पक्ष रखने के लिए कहा गया है। उन्होंने कहा कि टिकटॉक भारतीय कानून के सभी प्रावधानों का पालन करती है और उसने भारतीय यूजरों के डेटा को किसी भी विदेशी सरकार के साथ साझा नहीं किया है। आगे भी कंपनी यही नीति जारी रखेगी।
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