नई दिल्ली के कारण कंपनियों द्वारा कर्मचारियों की सैलरी में कटौती और छंटनी की मार का असर अब रियल एस्टेट सेक्टर पर दिखना शुरू हो गया है। बिल्डर्स और विभिन्न प्रॉजेक्ट्स में फ्लैट बुक कराने वाले खरीदारों को इन दिनों एक नई तरह की चुनौती का सामना करना पड़ रहा है। बैंक फ्लैट के खरीदारों को आगे का लोन जारी करने के लिए उनसे नई मांग रहे हैं। दरअसल, कंपनियों में सैलरी कटौती तथा व्यापक स्तर पर छंटनी के कारण बैंक पहले ही यह सुनिश्चित कर लेना चाहते हैं कि उनका लोन नहीं डूबे और उन्हें लोन की ईएमआई समय पर मिलती रहे। बिल्डर्स का कहना है कि उनके कई ग्राहकों ने यह शिकायत की है कि पिछले दो महीने से बैंक उन्हें लोन देने में आनाकानी कर रहा है। उन्होंने कहा, 'कई मामले ऐसे हैं, जिनमें बैंक फ्लैट के खरीदारों को 20% लोन पहले ही जारी कर चुके हैं, लेकिन अब लॉकडाउन के बाद बाकी का लोन देना बंद कर दिया है।' बैंकों का कहना है कि लोन के डिस्बर्समेंट के समय उनका नियम यह सुनिश्चित करता है कि कर्ज लेने वाला व्यक्ति लोन चुकाने में सक्षम है या नहीं। एक निजी बैंक के अधिकारी ने बताया, 'अगर लोन डिस्बर्समेंट के समय कर्ज लेने वाले व्यक्ति को लगता है कि उसकी आमदनी लोन की ईएमआई चुकाने के लिए पर्याप्त नहीं है तो वे लोन लेने से पीछे हटना उनके हितों के अनुकूल होगा। अगर मकान का पजेशन लेने से पहले ही वे डिफॉल्ट कर जाते हैं तो न तो उनके पास मकान होगा और न ही सस्ता मकान खरीदने के लिए क्रेडिट।' महाराष्ट्र चैंबर ऑफ हाउजिंग इंडस्ट्री (ठाणे) के प्रेजिडेंट अजय अशर ने कहा, 'वेतन में हुई कटौतियों को देखते हुए बैंक अपने ग्राहकों के को रीवेलिडेट कर रहे हैं।'
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