FATF ग्रे लिस्ट की खबरों पर भड़का पाक, कहा- नहीं हुआ है कोई फैसला

इस्लामाबाद ने फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स (FATF) की ग्रे लिस्ट में खुद को बरकरार रखने की खबरों को खारिज कर दिया है। उसने भारतीय मीडिया की खबरों को फर्जी करार देते हुए कहा कि FATF की डिजिटल बैठक में कोई फैसला नहीं लिया गया। पाकिस्तानी विदेश विभाग ने कहा कि भारतीय मीडिया ने झूठी खबर चलाई जिसपर भारत के विदेश मंत्रालय ने प्रतिक्रिया दी। गुरुवार को एफएटीएफ ने लिया था फैसला बता दें कि पेरिस की संस्था फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स (एफएटीएफ) ने बुधवार को अपनी पूर्ण बैठक के अंतिम दिन तय किया कि पाकिस्तान को ग्रे सूची (संदिग्ध सूची) में ही रहने दिया जाए। पाक पर आरोप है कि वह लश्कर-ए-तैयबा और जैश-ए-मोहम्मद जैसे आतंकी संगठनों को मिलने वाले धन पर रोक लगाने में असफल रहा है। भारत ने दी थी प्रतिक्रिया भारत के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अनुराग श्रीवास्तव ने बृहस्पतिवार को कहा था कि एफएटीएफ की ग्रे सूची में पाकिस्तान का बरकरार रहना हमारे रूख की पुष्टि करता है कि उसने अपनी धरती से गतिविधियां चलाने वाले आतंकवादी संगठनों के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की है। विदेश मंत्रालय की टिप्पणी पर प्रतिक्रिया देते हुए पाकिस्तान के विदेश विभाग ने कहा कि भारत के अधिकारी भारतीय मीडिया में आयी झूठी खबरों पर प्रतिक्रिया दे रहे थे। 2018 में डाला गया था ग्रे सूची में पाकिस्तान को जून 2018 में ग्रे सूची में डाला था। अक्टूबर 2018 और फरवरी 2019 में हुए रिव्यू में भी पाक को राहत नहीं मिली थी। पाक एफएटीएफ की सिफारिशों पर काम करने में विफल रहा है। इस दौरान पाकिस्तान में आतंकी संगठनों को विदेशों से और घरेलू स्तर पर आर्थिक मदद मिली है। क्या है एफएटीएफ फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स (FATF) एक अंतर-सरकारी निकाय है जिसे फ्रांस की राजधानी पेरिस में जी7 समूह के देशों द्वारा 1989 में स्थापित किया गया था। इसका काम अंतरराष्ट्रीय स्तर पर धन शोधन (मनी लॉन्ड्रिंग), सामूहिक विनाश के हथियारों के प्रसार और आतंकवाद के वित्तपोषण पर निगाह रखना है। इसके अलावा एफएटीएफ वित्त विषय पर कानूनी, विनियामक और परिचालन उपायों के प्रभावी कार्यान्वयन को बढ़ावा भी देता है। एफएटीएफ का निर्णय लेने वाला निकाय को एफएटीएफ प्लेनरी कहा जाता है। इसकी बैठक एक साल में तीन बार आयोजित की जाती है। क्या करता है एफएटीएफ एफएटीएफ अंतरराष्ट्रीय वित्तीय प्रणाली को दुरुपयोग से बचाने के लिए राष्ट्रीय स्तर की कमजोरियों की पहचान करने के लिए काम करता है। अक्टूबर 2001 में एफएटीएफ ने धन शोधन (मनी लॉन्ड्रिंग) के अलावा आतंकवादी वित्तपोषण से निपटने के प्रयासों को शामिल किया। जबकि अप्रैल 2012 में इनकी कार्यसूची में सामूहिक विनाश के हथियारों के प्रसार के वित्तपोषण का मुकाबला करने के प्रयासों को जोड़ा गया।एफएटीएफ अपने द्वारा दी गई सिफारिशों को लागू करने में देशों की प्रगति की निगरानी करता है। इसके अलावा मनी लॉन्ड्रिंग और आतंकवादी वित्तपोषण की तकनीकों को खत्म करने की उपायों की समीक्षा करता है। इसके साथ ही एफएटीएफ विश्व स्तर पर अपनी सिफारिशों को अपनाने और लागू करने को बढ़ावा देता है।


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