इस्लामाबाद इस्लामिक मुल्क पाकिस्तान में एक विश्वविद्यालय के वरिष्ठ प्रफेसर को बुधवार को ईशनिंदा के आरोपों में गिरफ्तार कर लिया गया। सिंध के खैरपुर इलाके में स्थित शाह अब्दुल लतीफ यूनिवर्सिटी के प्रफेसर साजिद सूमरू को अली मुराद इलाके में उनके घर से गिरफ्तार किया गया। मुस्लिम बहुल पाकिस्तान में ईशनिंदा एक ऐसा अपराध है जिसमें मौत की सजा हो सकती है या महज आरोप भर से कोई कट्टरपंथी भीड़ का शिकार हो सकता है। सूमरू के दोस्त और खैरपुर बार एसोसिएशन के संयुक्त सचिव वकील फयाज खामिसानी ने कहा, ‘हमें बताया गया है कि उन्हें सरकार की एक शिकायत पर ईशनिंदा के मामले में गिरफ्तार किया गया है।’ सूमरू सामाजिक कार्यकर्ता और लेखक भी हैं और सिंधी-मुहाजिर एकता पर अपनी किताबों के लिए जाने जाते हैं। सामाजिक कार्यकर्ताओं और लेखकों ने उनकी गिरफ्तारी की निंदा करते हुए जांच की मांग की है। आसिया बीबी को कनाडा में लेनी पड़ी थी शरण इससे पहले ईश निंदा के काले कानून का शिकार हुई ईसाई महिला आसिया बीबी को देश छोड़कर कनाडा में शरण लेनी पड़ी थी। आसिया बीबी को ईशनिंदा के आरोप में पाकिस्तान की एक अदालत ने 2010 में मौत की सजा सुनाई थी। 2018 में नाटकीय तरीके से उन्हें रिहा कर दिया गया। वह अब कनाडा में एक अज्ञात स्थान पर रहती हैं। आसिया ने अपनी किताब एनफिन लिबरे (आखिरकार आजादी मिली) में आपबीती बयान की है। किताब में आसिया बीबी ने जेल में बिताए अपने दिनों, रिहाई से मिली राहत और एक नए जीवन को संवारने में आ रही दिक्कतों का जिक्र करते हुए कहा है, ‘आप मीडिया के जरिए मेरी कहानी जानते हैं। लेकिन जेल, फिर यहां नई जिंदगी, नई शुरूआत के बारे में आप कुछ नहीं जानते।’ पाकिस्तानी जेल में आठ साल बितानेवाली आसिया कहती हैं, ‘मैं कट्टरता की कैदी हो गई थी। आंसू ही जेल में मेरा एकमात्र सहारा थे।’ 'जंजीरों में जकड़कर रखा जाता था, सांस लेना मुश्किल' आसिया बीबी ने किताब में पाकिस्तान में जेल की बुरी स्थिति के बारे में बताया है जहां उन्हें जंजीरों में जकड़ कर रखा गया था। उन्होंने कहा, ‘मेरी कलाइयां जलने लगती थीं, सांस लेना मुश्किल था। मेरी गर्दन में लोहे की पट्टी बंधी रहती थी जिसे गार्ड एक नट के जरिए कस सकता था। यह पट्टी लोहे की जंजीर से जुड़ी थी और बेहद लंबी थी जिसका दूसरा छोर मेरी कलाइयों को जकड़ता था। जंजीर गंदे फर्श पर पड़ी रहती थी। आसपास केवल अंधेरा था और था मौत का अहसास।’ आसिया बीबी ने कहा कि दूसरे कैदी भी उनके प्रति कोई अपनापन या रहम नहीं दिखाते थे। मुस्लिम बहुल पाकिस्तान में ईशनिंदा एक ऐसा अपराध है जिसमें मौत की सजा हो सकती है या महज आरोप भर से कोई भीड़ का शिकार हो सकता है। आसिया बीबी का झगड़ा 2009 में एक मुस्लिम उलेमा खादिम हुसैन रिजवी से हो गया था जिसके बाद उसने उन पर ईशनिंदा का आरोप लगा दिया। आसिया बीबी इस आरोप से इनकार करती रही हैं। पाकिस्तान में हालात इतने खराब हैं कि आसिया के वकील ने भी पाकिस्तान छोड़ दिया है। ईशनिंदा के आरोप में हिंदू डॉक्टर को किया था अरेस्ट आसिया के वकील सैफुल मलूक ने अपनी जान को खतरा होने का दावा किया था। उन्होंने सरकार से मदद की गुहार लगाई थी लेकिन पाकिस्तान सरकार ने कट्टरपंथियों के आगे झुकते हुए कोई एक्शन नहीं लिया। इस्लामी राजनीतिक पार्टी तहरीक-ए-लबैक(टीएलपी) पाकिस्तान और अन्य कट्टरपंथी समूह दोनों की जान के पीछे पड़े हुए थे। पिछले साल पाकिस्तान के सिंध प्रांत में ईशनिंदा के आरोपों में एक हिंदू डॉक्टर की गिरफ्तारी के बाद इलाके में तनाव पैदा हो गया था। डॉक्टर की पहचान रमेश कुमार के रूप में हुई जिसके बाद मीरपुरखास जिले के फुलादयों बस्ती में गुस्साए लोगों ने हिंदुओं की दुकानों में आग लगा दी थी।
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