PMC बैंक पर RBI की रोक से लोगों में डर, कारोबारियों की बढ़ी टेंशन

नई दिल्ली/मुंबई पंजाब ऐंड महाराष्ट्र कोऑपरेटिव (PMC) बैंक के ऑपरेशंस पर छह महीने की पाबंदी लगने से घटना के बाद तमाम खाताधारकों में डर का माहौल पैदा हो गया है। लोग अपने पैसे सुरक्षित स्थान पर लगाने के लिए चिंतिंत हो रहे हैं। हालांकि, इस प्रकार की चिंता से मुक्त होने का भरोसा लगातार दिया जा रहा है। अगले कुछ दिनों में कई बैंकों से लोग पैसा निकालने का इरादा बना रहे हैं। छोटे बैंकों से डरने लगे लोग! कुर्ला के एक कॉपरेटिव बैंक में खाताधारक ने कहा, 'मैं अपना पैसा निकालकर दूसरे बड़े बैंक में जमा कर दूंगा। इतना रिस्क कौन लेगा? आखिरकार पता नहीं छोटे बैंक में क्या हो जाए! इसी तरह से कॉपरेटिव बैंक में फिक्स डिपॉजिट करने वाले भी अपना पैसा निकालने के बारे में सोच रहे हैं। एक दूसरे ग्राहक ने कहा कि अब तो हम मैं केवल सरकारी बैंक में ही पैसा जमा करूंगा।' एक जानकार ने बताया कि अर्थव्यवस्था में सुस्ती के चलते बढ़ते नॉन परफॉर्मिंग ऐसेट (एनपीए) बढ़ने से चिंता बढ़ी है। इन बैंकों का दायरा अधिक बड़ा न होने से आधुनिक टेक्नॉलजी का प्रयोग भी कम ही होता है। पढ़ें: दिल्ली के कारोबारी परेशान दिल्ली के बाजारों और कारोबारियों में भी खासी बेचैनी देखी जा रही है। एक हजार रुपये से ज्यादा की निकासी, ट्रांसफर और दूसरे ट्रांजैक्शन कम से कम छह महीने के लिए बंद होने से जहां इसके बड़े कस्टमर्स की मुश्किलें बढ़ गई हैं, वहीं करंट अकाउंट के जरिए रोजाना जमा-निकासी करने वाले छोटे व्यापारी भी परेशान हैं। मंगलवार को बैंक के एमडी की ओर से कस्टमर्स को भेजे गए मेसेज के बाद दिल्ली में सेंट्रल बिजनस डिस्ट्रिक्ट्स की चार शाखाओं पर कस्टमर्स की भीड़ जुटनी शुरू हो गई। सदर बाजार के एक कारोबारी ने बताया, ‘बैंक में मेरे 30 लाख रुपये से ज्यादा जमा हैं। आज एक पार्टी को मनी ट्रांसफर के लिए लॉग-इन किया तो एमडी के मेसेज वाला लिंक मिला। अब हमारा पूरा काम ही रुक गया है।’ छोटे कोऑपरेटिव बैंकों में पैसे रखने वाले ज्यादा परेशान सबसे ज्यादा खलबली उन कारोबारियों में है, जो थोक बाजारों में फैले छोटे कोऑपरेटिव और अनजान निजी बैंकों में पैसे रखते हैं, क्योंकि ये बैंक नो योर कस्टमर और ट्रांजैक्शंस में कई तरह की वैध-अवैध सहूलियतें देते हैं। अब इन बैकों पर गाज गिरने के डर से बड़े पैमाने पर पैसे की निकासी हो रही है। ब्लैकियों ने निकाली RTGS, TT की काट आरबीआई की ओर से को-ऑपरेटिव और छोटे निजी बैंकों पर KYC नॉर्म्स की सख्ती के बाद से इन बैंकों की साख हिलने लगी है क्योंकि बाजारों में ये कालाबाजारियों के मुफीद ठिकाने के रूप में जाने जाते हैं। एक विश्वस्त सूत्र ने बताया, ‘RTGS, TT और दूसरे ऑनलाइन ट्रांजैक्शन में ब्लैकमनी का लेन-देन सबसे ज्यादा इन्हीं बैंकों से हो रहा है। सूत्र ने कहा, मान लीजिए कि मुझे किसी को 50 लाख रुपये देने हैं, लेकिन दूसरा पक्ष कैश नहीं लेना चाहता तो ऐसी पार्टियां उपलब्ध हैं, जो एक तय कमीशन लेकर अपनी तरफ से मेरे ग्राहक को RTGS कर देंगी। ये पार्टियां मजदूरों के या दूसरे आइडल खातों का इस्तेमाल करती हैं और गायब हो जाती हैं। ऐसी ही धांधली बड़े बिलों की पेमेंट में होती है।’ उन्होंने कुछ तेजी से बढ़ते निजी बैंकों का नाम गिनाते हुए कहा कि यहां आज भी सबसे आसानी से खाते खुल जाते हैं, बशर्ते कस्टमर एक तय ऊंची सीमा तक डिपॉजिट और ट्रांजैक्शन करे। PMC से सबसे ज्यादा कारोबारी जुड़े हैं शेड्यूल्ड बैंक है और दूसरे छोटे निजी बैंकों के मुकाबले उसकी साख अच्छी है, फिर भी उसमें सबसे ज्यादा एक्सपोजर कारोबारियों के ही हैं। बड़ी संख्या में कारोबारियों ने यहां से लोन भी ले रखे हैं। आरबीआई ने कुछ महीने पहले ही इन बैंकों के लिए केवाईसी की सख्त गाइडलाइंस जारी की थी। (NBT इनपुट्स के साथ)


from Latest Business News in Hindi - बिज़नेस खबर, बिज़नेस समाचार, व्यवसाय न्यूज हिंदी में | Navbharat Times http://bit.ly/2lnEcTV
Previous Post
Next Post
Related Posts