बहुत दूर तक फैला है टैक्स उत्पीड़न: मोहनदास पई

शिल्पा फडनिस, बेंगलुरुमणिपाल ग्लोबल एजुकेशन के चेयरमैन और इन्फोसिस के पूर्व बोर्ड मेंबर टीवी ने कहा है कि की उनकी आलोचना (कैफे कॉफी डे फाउंडर वीजी सिद्धार्थ की आत्महत्या के मामले में) पर देशभर के कारोबारियों ने उन्हें प्रतिक्रिया देते हुए समर्थन किया है। पई ने टाइम्स ऑफ इंडिया से कहा, 'नए साल या त्योहारों पर मिले मेसेज से भी ज्यादा मुझे वॉट्सऐप पर मेसेज मिले हैं। बहुत से लोगों ने मुझे धन्यवाद दिया और अपने खराब अनुभव बताए हैं। मैं हैरान था। हम जितना सोचते हैं, यह समस्या उससे ज्यादा फैली हुई है।' पई टैक्स टेररेजम को लेकर कुछ समय से मुखर रहे हैं। उन्होंने स्टार्टअप्स पर लगने वाले एंजल टैक्स को लेकर आवाज उठाई थी। सिद्धार्थ की मौत के बाद वह काफी मुखर हैं। आत्महत्या से पहले कॉफी डे एंटरप्राइजेज बोर्ड को लिखे लेटर में सिद्धार्थ ने टैक्स अथॉरिटीज पर उत्पीड़न का आरोप लगाया था। पई ने कहा, 'कई लोगों ने मुझे बताया कि जब वे इनकम टैक्स डिपार्टमेंट गए तो उन्हें पाई-पाई चुकाने को कहा गया। अधिकारी कहते हैं कि उनके पास टारगेट है। मुझे नहीं पता कि टारगेट को पूरा करने पर उन्हें प्रोत्साहन मिलता है या नहीं। वे आपको जाकर अपील (कोर्ट में) करने को कहते हैं। CBDT (सेंट्रल बोर्ड ऑफ डायरेक्ट टैक्ससेज) टारगेट पूरा करने के लिए लगातार दबाव (अधिकारियों पर) डालता रहता है। यदि तुम टारगेट पूरा नहीं करोगा, मैं तुम्हारा ट्रांसफर कर दूंगा। वे अधिकारी क्या करेंगे? वे भी असहाय हैं।' सिद्धार्थ के केस में, पई ने कहा कि डिपार्टमेंट की ओर से प्रेस रिलीज जारी करना और ब्योरा देना अनावश्यक और असंवेदनशील था। उन्होंने कहा, 'सर्च के दौरान एकत्रित और गोपनीय जानकारियों को देना, और अपना पक्ष रखने का मौका दिए बिना हम किसी व्यक्ति की छवि धूमिल नहीं कर सकते हैं। हम विश्वास के साथ नहीं कह सकते हैं कि आपकी जानकारी सही है या गलत।' सिद्धार्थ द्वारा स्वीकारोक्ति नोट पर हस्ताक्षर किए जाने को लेकर इनकम टैक्स डिपार्टमेंट के दावे की निंदा करते हुए पई ने कहा, 'यह दिखाता है कि आपने उनके ऊपर ताकत का इस्तेमाल किया। कोई भी समझदार व्यक्ति बिना दबाव के टैक्स अथॉरिटीज को स्वाकारोक्ति नहीं लिखकर देगा। भारत सहित अमेरिका और दुनिया के अधिकतर देशों में यदि आप दबाव में कोई स्वीकारोक्ति लिखते हैं तो यह कानून के तहत मान्य नहीं है।' पई ने कहा कि सिद्धार्थ के केस में कोई डिमांड नहीं है और आईटी डिपार्टमेंट की ओर से कोई असेसमेंट ऑर्डर नहीं है। उन्होंने संशोधित इनकम रिटर्न दाखिल की और मामला विवाद में है। उन्होंने कहा, 'वे शेयर अटैच करना चाहते हैं। मैं नहीं जानता कि उन्हें ऐसा करने की क्या जरूरत है। भविष्य में जो कुछ हो सकता है उससे सुरक्षा के लिए? यह शक्ति का अनावश्यक इस्तेमाल है।'


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