नई दिल्ली जापान के ओसाका में G20 समिट में पीएम नरेंद्र मोदी से मुलाकात से पहले गुरुवार को अमेरिकी राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप ने एक ट्वीट करके भारत पर अधिक टैरिफ वसूलने का आरोप लगाया। वह पहले भी भारत को 'टैरिफ किंग' कहकर बदनाम करते रहे हैं, लेकिन ट्रंप के इस दावे में भावनाएं अधिक हैं, सच्चाई कम। असल में ट्रंप टैरिफ की बजाय कुछ दूसरी वजहों से चिढ़े हुए हैं। आइए पूरे मामले की पड़ताल करते हैं... 1. भारत वर्ल्ड ट्रेड ऑर्गेनाइजेशन (WTO) में तय आयात शुल्क से भी बेहद कम वसूल कर रहा है। WTO में तय दर 40 फीसदी से अधिक है, लेकिन इंडस्ट्रियल गुड्स पर औसत आयात शुल्क 10.2 फीसदी ही लगाया जा रहा है, जबकि व्यापार भारित (वेटेड) शुल्क 5.6 फीसदी है। भारत कुछ वस्तुओं के आयात पर अधिक शुल्क (जैसे शराब पर 150% और ऑटो मोबाइल्स पर 75%) वसूल करता है, लेकिन कई अन्य देश इससे कहीं अधिक टैरिफ लगाते हैं। मसलन- जापान 736%, साउथ कोरिया 807% और अमेरिका 30% टैक्स लगाता है, जोकि भारत के 150% से बहुत अधिक है। 2. भारत के औसत आयात शुल्क की तुलना यदि दूसरे विकासशील देशों के साथ करें तो यह लगभग बराबर ही है। भारत औसतन 13.8 फीसदी टैक्स वसूल करता है तो अर्जेंटीना और साउथ कोरिया 13.7 और ब्राजील 13.4 फीसदी औसत आयात शुल्क लगा रहा है। 3. भारत यदि कुछ सामानों पर अधिक टैक्स वसूल कर रहा है तो अमेरिका भी कई भारतीय उत्पादों के आयात पर अधिक शुल्क लगाता है। भारत शराब पर 150%, मोटरसाइकल पर 50% और नेटवर्क राउटर्स, सेलफोन पार्ट्स पर 20 फीसदी आयात शुल्क लेता है तो अमेरिका भारतीय तंबाकू उत्पादों पर 350 फीसदी शुल्क लेता है। इसके अलावा मूंगफली पर 164% और फुटवियर पर 48 फीसदी टैक्स लेता है। 4. अमेरिका का भारत में निर्यात तेजी से बढ़ रहा है। यह अमेरिका में भारतीय निर्यात के मुकाबले अधिक गति से बढ़ा है। पिछले 2 साल (2017-18 और 2018-19) में अमेरिका का भारत में निर्यात 33.5% बढ़ा है, जबकि भारतीय निर्यात में 9.4 फीसदी की ही तेजी आई है। 5. मौजूदा टैरिफ वॉर की शुरुआत अमेरिका ने की है। इसने भारतीय एल्युमीनियम और स्टील पर आयात शुल्क बढ़ाने के बाद जीएसपी का दर्जा खत्म कर दिया। इसके बाद भारत 28 अमेरिकी उत्पादों पर शुल्क बढ़ाने को मजबूर हुआ। ट्रंप के चिढ़ने की यह है असली वजहअसल में ट्रंप की नाखुशी टैरिफ से ज्यादा इस बात को लेकर है कि भारत अमेरिका से जितना सामान खरीदता है उससे अधिक उसे बेचता है। 2018 में दोनों देशों के बीच 142.1 अरब डॉलर का कारोबार हुआ, जिसमें भारत का सरप्लस 24.2 अरब डॉलर रहा। इसके अलावा, फरवरी में विदेशी निवेशकों के लिए नए ई-कॉमर्स नियमों और भारत में डेटा स्टोर करने की अनिवार्यता को लेकर भी ट्रंप की बेचैनी बढ़ी है, क्योंकि इन नियमों से भारत में मुनाफा कमा रहीं अमेरिकी कंपनियों की चुनौती बढ़ी है।
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