रंजीत शिंदे, मुंबई बीएसई 200 इंडेक्स में शामिल 167 कंपनियों (इनके प्रमोटर्स डोमेस्टिक हैं) के लिए रेट वित्त वर्ष 2014 के बाद से 25 और 29 प्रतिशत के बीच बना हुआ था। वित्त वर्ष 2019 में इन कंपनियों ने 1.9 लाख करोड़ का टैक्स चुकाया था, जबकि उनका मुनाफा टैक्स से पहले 6.6 लाख करोड़ रुपये था। इसका मतलब यह है कि इनके लिए टैक्स रेट 29.1 पर्सेंट था। सरकार के अनुमान के मुताबिक, कॉर्पोरेट टैक्स को घटाकर 25.17 प्रतिशत करने से उसे 1.5 लाख करोड़ का रेवेन्यू लॉस होगा। एक मोटे अनुमान के मुताबिक, टैक्स घटाए जाने से सैंपल में शामिल कंपनियों के कुल टैक्स में वित्त वर्ष 2020 में 18 प्रतिशत की कमी आ सकती है। इन कंपनियों का जून 2019 तिमाही में प्रॉफिट बिफोर टैक्स 1.8 लाख करोड़ और टैक्स 55,475 करोड़ रुपये था। इस हिसाब से टैक्स की दर 30.8 प्रतिशत होती है। अगर इसी आधार पर पूरे साल के लिए अनुमान लगाएं तो टैक्स की कुल रकम 2.2 लाख करोड़ रुपये बैठेगी। अब अगर टैक्स दर को घटाकर 25.17 प्रतिशत कर दिया जाए तो इन कंपनियों को 1.8 लाख करोड़ का टैक्स चुकाना होगा। वित्त वर्ष 2018 में सैंपल में शामिल कंपनियों का टैक्स रेट घटकर 25 प्रतिशत के करीब आ गया था क्योंकि तब कई सरकारी बैंकों को घाटा हुआ था। टैक्स से पहले इन बैंकों को उस वित्त वर्ष में 68 हजार करोड़ रुपये का लॉस हुआ था।
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