कीर्तिका सुनेजा, नई दिल्ली के साथ कारोबार करना आसान नहीं है। यह बात टीसीएस, इंफोसिस और टेक महिंद्रा जैसी देश की टॉप आईटी फर्मों ने सरकार से कही है। भारत और चीन के वाणिज्य मंत्री रीजनल कॉम्प्रिहेंसिव इकॉनमिक पार्टनरशिप (आरसीईपी) एग्रीमेंट को अंतिम रूप देने के लिए अहम मीटिंग करने वाले हैं। आईटी कंपनियों ने वाणिज्य और उद्योग मंत्री को बताया कि चीन का वीजा सिस्टम काफी सख्त है। वहां कानूनी दिशानिर्देशों का पालन करने पर भारी रकम खर्च करनी पड़ती है और टैक्स रेट भी काफी ज्यादा है। इसलिए भारतीय कंपनियों के लिए वहां निवेश करना काफी मुश्किल है। चीन में ज्यादा टैक्स का मसला गोयल और कंपनियों की मीटिंग में मौजूद एक अधिकारी ने बताया, ‘उन्होंने जोर दिया कि इन्वेस्टमेंट पर 5 प्रतिशत रिटर्न से चीन निवेश के लिए आकर्षक बाजार नहीं बन जाता।’ इस मीटिंग में टीसीएस, सत्यम वेंचर इंजिनियरिंग, एचसीएल, एनआईआईटी टेक, इंफोसिस टेक, इन्वेंटो रोबॉटिक्स, टेक महिंद्रा और विप्रो, सर्विसेज एक्सपोर्ट प्रमोशन काउंसिल और नैस्कॉम के सीनियर मैनेजर मौजूद थे। कंपनियों ने चीन में ज्यादा टैक्स का मसला उठाया। उनका कहना था कि प्रविडेंट फंड, मेडिकल, पेंशन और अनएंप्लॉयमेंट जैसे लेवी से यह 44 प्रतिशत तक पहुंच जाता है। चीन ने देश में प्रफेशनल के मूवमेंट पर भी पाबंदी लगा रखी है। वह बिजनस ट्रैवलर को प्रांतीय वीजा देता है। उसे किसी अन्य राज्य में जाने की इजाजत नहीं होती। चीनी कंपनियों को मिलने वाली सुविधा दूसरों को नहीं गोयल के साथ मीटिंग में शामिल एक इंडस्ट्री रिप्रेजेंटेटिव ने बताया, ‘हमारे एंप्लॉयी को जिस राज्य का वीजा मिला रहेगा, उसे वहीं रहना होगा। इससे वह कारोबार के सिलसिले में चीन के ही दूसरे राज्यों में नहीं जा सकता। चाइनीज कंपनियां गवर्नमेंट एंटरप्राइजेज हैं। उन्हें जो सुविधा मिलती है, वह विदेशी कंपनियों के लिए उपलब्ध नहीं है।’ एक अनुमान के मुताबिक, देश की बड़ी आईटी कंपनियों के चीन में करीब 12,000 कर्मचारी हैं, जिसमें से करीब 90 प्रतिशत लोकल हैं। भारत पर इस साल आरसीआईपी पूरा करने का दबाव है, जिसकी वजह से यह मीटिंग हो रही है। हालांकि, इसके बावजूद कई सदस्य देश कंप्यूटर से संबंधित या इन्फर्मेशन सर्विसेज रियायतें नहीं देते। उन्होंने प्रफेशनल्स के एक देश से दूसरे देश में जाने पर भी पाबंदी लगा रखी है। 16 मेंबर वाले आरसीईपी ग्रुप ने पहले भारत के पारस्परिक वीजा शुल्क माफी प्रस्ताव को खारिज कर दिया था। इसमें आरसीईपी बिजनस ट्रैवल कार्ड बनाने की योजना थी। इससे प्रफेशनल्स को सहूलियत होती और माइग्रेशन की वजह से नौकरी जाने का जोखिम भी कम होता। गोयल ने चीन और अमेरिका को गुड्स एक्सपोर्ट बढ़ाने के तरीकों पर चर्चा करने के लिए बुधवार को मैन्युफैक्चरर्स, एक्सपोर्टर्स और इंपोर्टर्स के साथ भी इसी तरह की मीटिंग की। आरसीईपी 10 आसियान देशों और इसके छह फ्री-ट्रेड एग्रीमेंट (एफटीए) पार्टनर्स यानी ऑस्ट्रेलिया, न्यू जीलैंड, जापान, चीन, दक्षिण कोरिया और भारत के बीच एक प्रस्तावित इकनॉमिक इंटीग्रेशन एग्रीमेंट समझौता है।
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