सरकार को RBI देगा फंड, समझिए बैंक की आमदनी-खर्च से जुड़ा हर गणित

रिजर्व बैंक ने जालान कमिटी की सिफारिशें मान ली हैं। वह वित्त वर्ष 2018-19 के लिए सरकार को 1.76 लाख करोड़ रुपये ट्रांसफर करेगा। हमआपको इन रुपयों का हिसाब-किताब बता रहे हैं। तो यहां जानें की आमदनी के जरियों, खर्च, रिजर्व और आगे क्या होने वाला है, सबकुछ। RBI की आमदनी का जरिया रिजर्व बैंक को आमदनी मुख्य रूप से 'हासिल ब्याज' और 'अन्य आय' से होती है। स्रोत के हिसाब से बात करें तो RBI के देसी-विदेशी, दोनों आय के स्रोत हैं। घरेलू स्रोत: -OMO (ओपन मार्केट ऑपरेंशंस) वाली डोमेस्टिक सिक्यॉरिटीज की होल्डिंग पर मिलनेवाला ब्याज+केंद्र और राज्य सरकारों/बैंकों और वित्तीय संस्थानों को दिए गए कर्ज और अग्रिम -डिस्काउंट/एक्सचेंज/कमीशन/रेंट विदेशी स्रोत: फॉरन करेंसी ऐसेट्स से होने वाली आमदनी कहां खर्च होते हैं RBI के रुपये -करेंसी नोट की छपाई -एजेंसी चार्ज/कमीशन - एंप्लॉयी कॉस्ट -कंटिंजेंसी फंड में ट्रांसफर के लिए प्रोविजनिंग (वित्त वर्ष 2018 और वित्त वर्ष 2017 में शुरू हुई थी) रिजर्व क्या हैं और कैसे क्रिएट होते हैं? ये RBI के लिए कुशन माने जाते हैं और आड़े वक्त काम आते हैं। इनमें बुनियादी तौर पर शामिल होते हैं: (A) विदेशी मुद्रा और मौद्रिक नीति से जुड़े फैसलों के चलते बननेवाली आपात स्थितियों से निपटने के मकसद से की जानेवाली प्रोविजनिंग, और कंटिंजेंसी फंड (CF), जिसमें RBI ऐसेट डिवेलपमेंट फंड (ADF) शामिल होता है (B) अनरियलाइज्ड मार्क टू मार्केट गेंस/लॉस, करंसी ऐंड गोल्ड रिवैल्यूएशन अकाउंट (CGRA), इन्वेस्टमेंट रिवैल्यूएशन अकाउंट रुपी सिक्यॉरिटीज (IRA-RS) रिजर्व को लेकर क्या विवाद था? पिछले साल सरकार और रिजर्व बैंक में इस बात पर विवाद हुआ था कि RBI के पास कितना रिजर्व होना चाहिए। सरकार कह रही थी कि RBI के पास कुल ऐसेट का लगभग 26% रिजर्व है जबकि ग्लोबल स्टैंडर्ड लगभग 16% है। केंद्र चाहता था कि RBI के पास पड़ा जो ऐक्सेस रिजर्व है, उसे उसके हवाले कर दिया जाए। RBI ने अपने वास्ते इकनॉमिक कैपिटल फ्रेमवर्क सुझाने के लिए एक कमिटी बनाई। जालान कमिटी ने क्या सुझाव दिया? कमिटी चाहती थी कि रियलाइज्ड इक्विटी (बुनियादी तौर पर जमा होते रहे प्रॉफिट से बना कंटिंजेंसी फंड) और रिवैल्यूएशन बैलेंस (CGRA) में साफ फर्क किया जाए। रियलाइज्ड इक्विटी से सभी रिस्क कवर किए जाएं, रिवैल्यूएशन बैलेंस का डिस्ट्रीब्यूशन नहीं किया जा सकता। रियलाइज्ड इक्विटी RBI की बैलेंस शीट के 6.5-5.5% के दायरे में होगी। इस लेवल से ऊपर जितनी रकम होगी, सरकार के पास जाएगी। अगर रिजर्व बैंक की आमदनी कम रहती है तो वह डिविडेंड पेमेंट करने के लिए रिजर्व में हाथ नहीं डालेगा। कमिटी की सिफारिशों पर RBI का स्टैंड रिजर्व बैंक ने जालान कमिटी की सिफारिशें मानी, रियलाइज्ड इक्विटी के लिए बैलेंसशीट पर मौजूद ऐसेट की 6.5-5.5% वाली रेंज में से निचला लेवल स्वीकार किया। इससे रिजर्व बैंक के पास 52,637 करोड़ रुपये का सरप्लस क्रिएट होगा जो सरकार के खाते में जाएगा। प्रस्तावित रियलाइज्ड इक्विटी की रेंज के निचले लेवल के हिसाब से RBI का इकनॉमिक कैपिटल उसके एसेट के 24.5%-20% के बराबर होता है। RBI के पास 30 जून 2019 को 23.3% इकनॉमिक कैपिटल था। उसने 20% की निचली लिमिट चुनी है, जिससे फ्री हुई 1,23,414 करोड़ रुपये की रकम सरकार के खाते में जाएगी। अब होगा क्या? 1. सरकार को अपने बजट के लिए लगभग 58,000 करोड़ रुपये एक्सट्रा मिलेंगे। 2. इससे सरकार को फिस्कल डेफिसिट से निपटने में मदद मिलेगी। 3. सरकार को आने वाले समय में ज्यादा डिविडेंड मिल सकता है। 4. रिजवैल्यूएशन रिजर्व पर कमिटी की सिफारिशों के चलते बाद में सरकार पर रुपयों की बरसात नहीं होगी। पढ़ें: 1.76 लाख करोड़ रुपये से क्या-क्या कर सकती है सरकार 1. सरकार अपना फिस्कल टारगेट पूरा कर सकती है। 2. विवेकपूर्ण तरीके से रकम का इस्तेमाल कर पिछली 4 तिमाहियों से सुस्ती की ओर बढ़ रही इकॉनमी को रफ्तार दी जा सकती है। 3. इस रकम से सरकार अपने कर्ज कम सकती है और इंडस्ट्री को फायदा पहुंचा सकती है। 4. उन सेक्टरों में जान फूंकी जा सकती है, जिनपर सुस्ती की सबसे ज्यादा मार है।


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