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रीका भट्टाचार्य & राजेश मैस्करेनस, मुंबई पिछले साल इंडिया इंक के टॉप बॉस की पगार में औसतन 16 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई, जबकि कंपनियों के मुनाफे में कमजोरी बनी हुई थी। कंपनियों के मैनेजिंग डायरेक्टरों और सीईओ की सैलरी में इसके बावजूद अधिक बढ़ोतरी की गई क्योंकि बोर्ड चाहता था कि वे मुश्किल वक्त से कंपनी को बाहर निकालें। पिछले वित्त वर्ष में सामान्य कर्मचारियों और अधिकारियों की सैलरी में 9-9.5 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई। इससे कंपनियों के शीर्ष अधिकारियों और अन्य कर्मचारियों की सैलरी में अंतर बढ़ने की चिंता भी सामने आई। पढ़ें: RPG ग्रुप के चेयरमैन हर्ष गोयनका ने कहा, ‘मुश्किल कारोबारी हालात में कंपनियां अच्छे टैलेंट को साथ बनाए रखना चाहती हैं।’ उन्होंने कहा कि भारत और वैश्विक स्तर पर कारोबारी चुनौतियां बढ़ी हैं, इसलिए सीईओ की सैलरी में शायद अधिक बढ़ोतरी हुई। गोयनका ने कहा, ‘शीर्ष स्तर पर अच्छे टैलेंट की भी कमी है। यह भी सैलरी अधिक बढ़ने की एक वजह हो सकती है।’ वित्त वर्ष 2019 में कंपनियों के एमडी और सीईओ की औसत पगार 6.39 करोड़ रुपये रही, जो वित्त वर्ष 2018 में 5.53 करोड़ और 2017 में 4.49 करोड़ थी। इकनॉमिक टाइम्स के सीईओ की सैलरी के विश्लेषण से यह जानकारी मिली है। इसमें कंपनियों के प्रमोटरों को शामिल नहीं किया गया। इसके लिए आंकड़े बीएसई 500 इंडेक्स में शामिल 90 कंपनियों की ऐनुअल रिपोर्ट से लिए गए हैं। इनमें ITC, L&T, ऐक्सिस बैंक, HDFC बैंक, HDFC लाइफ इंश्योरेंस, TCS, टाटा स्टील और ग्लेक्सोस्मिथक्लाइन फार्मा जैसे अपने क्षेत्र की दिग्गज कंपनियां भी शामिल हैं। 90 सीईओ और एमडी को वित्त वर्ष 2019 में कुल 549.41 करोड़ रुपये दिए गए, जबकि एक साल पहले उन्हें 475.62 करोड़ रुपये मिले थे। इसमें बेसिक सैलरी, भत्ते, वेरिएबल पे और कमीशन की रकम शामिल है, जबकि स्टॉक ऑप्शंस को अलग रखा गया है। इस पर ऑडिट और अकाउंटिंग कंपनी हरिभक्ति ऐंड कंपनी के चेयरमैन शैलेश हरिभक्ति ने कहा, ‘परफॉर्मेंस के आधार पर नॉमिनेशन और रिम्यूनरेशन कमिटी सैलरी तय करने में बहुत सावधानी बरतती हैं।’
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