नई दिल्ली भारत की चौथी सबसे बड़ी आउटसोर्स कंपनी ने संकेत दिए हैं कि पद के लिए नामित किए गए 2020 में एग्जिक्युटिव पद छोड़ सकते हैं। बता दें कि सिक्यॉरिटीज ऐंड एक्सचेंज बोर्ड ऑफ इंडिया () ने यह अनिवार्य कर दिया है कि लिस्टेड कंपनियों के चेयरपर्सन, एग्जिक्युटिव पद पर नहीं रह सकते। गौर करने वाली बात है कि 30 जुलाई, 2019 से कंपनी के एग्जिक्युटिव चेयरमैन और मैनेजिंग डायरेक्टर की अपनी मौजूदा पोजिशन से रिटायर हो जाएंगे। पिछले साल सेबी ने सुधार के साथ नए नियम को अनिवार्य कर दिया था। इस नियम के तहत टॉप-500 लिस्टेड कंपनियों को अप्रैल 2020 से यह सुनिश्चित करना होगा कि कंपनी के बोर्ड चेयरपर्सन एक नॉन-एग्जिक्युटिव डायरेक्टर हो। 2018-19 की अपनी सालाना रिपोर्ट में विप्रो ने कहा, 'जब लिस्टिंग रेगुलेशंस के नियम 17 (1B) में सुधार के बाद यह जरूरी हो गया है कि लिस्टेड कंपनियां नॉन-एग्जिक्युटिव चेयरमैन नियुक्त करें, रिशद प्रेमजी एग्जिक्युटिव पद को छोड़ेंगे और कंपनी के नॉन-एग्जिक्युटिव डायरेक्टर के तौर पर काम करेंगे।' कंपनी ने आगे कहा, 'रिशद प्रेमजी को कंपनी के फुल-टाइम डायरेक्टर के तौर पर 31 जुलाई, 2019 से 30 जुलाई, 2024 तक 5 साल की अवधि के लिए दोबारा नियुक्त किया जाएगा।' अगर ऐसा होता है तो करीब 74 प्रतिशत तक वोटिंग राइट्स होने के बावजूद प्रमोटर फैमिली कंपनी को चलाने में कोई भूमिका अदा नहीं कर पाएंगे। अजीम प्रेमजी 5 साल यानी जुलाई 2024 तक कंपनी के नॉन-एग्जिक्युटिव डायरेक्टर के तौर पर कंपनी से जुड़े रहेंगे। इसके अलावा उन्हें कंपनी के फाउंडर चेयरमैन का पद भी दिया गया है। उन्हें टाइम, फाइनैंशल टाइम्स, फोर्ब्स और फॉर्च्यून जैसे दुनिया के दिग्गज पब्लिकेशंस द्वारा दुनिया के सबसे प्रभावशाली लोगों की लिस्ट में शामिल किया गया है। बिजनसवीक ने उन्हें दुनिया के 30 टॉप आंत्रप्रेन्यॉर में शामिल किया था। हालांकि, अभी रिशद विप्रो के चीफ स्ट्रैटजी ऑफिसर और बोर्ड मेंबर हैं।
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