बैंकों ने नहीं किए एटीएम अपग्रेड, लग सकता है जुर्माना

मुंबई आरबीआई (RBI) ने एटीएम (ATM) की सुरक्षा और कैश मैनेजमेंट (cash management) को अपग्रेड करने के लिए पिछले दो सालों में कई दिशानिर्देश जारी किए लेकिन बैंक इनका पालन करने में नाकाम रहे हैं। अब इन दिशानिर्देशों के अनुपालन की समयसीमा करीब आ रही है और बैंकों पर भारी जुर्माना लगाया जा सकता है। बैंकों का कहना है कि आरबीआई के दिशानिर्देशों का पालन करने में उनका बहुत खर्चा होगा। अधिकांश बैंकों ने अब तक अपने एटीएम को अपग्रेड करने की प्रक्रिया शुरू नहीं की है। इस मामले की जानकारी रखने वाले लोगों का कहना है कि इसमें बैंकों का खर्चा केंद्रीय बैंक के अनुमानों से कहीं ज्यादा है। आरबीआई ने बैंकों को पुराने पड़ चुकी कैश रिप्लेनिशमेंट प्रोसेस की जगह नया कैसेट स्वैपिंग सिस्टम लगाने, एटीएम परिसरों में इलेक्ट्रॉनिक सर्विलांस बढ़ाने, डिजिटल लॉक लगाने और इन कैश मशीनों में लगे ऑपरेटिंग सिस्टम्स को अपग्रेड करने को कहा है। इंटरचेंज रेट में बढ़ोतरी का इंतजार एक सूत्र ने कहा कि एटीएम चलाने वाले अधिकांश बैंक इंटरचेंज रेट में बढ़ोतरी का इंतजार कर रहे हैं या वे इस लागत को कवर करने के लिए मुआवजे की व्यवस्था चाहते हैं। अब तक 5 फीसदी से भी कम एटीएम अपग्रेड होंगे। आरबीआई ने 2018 और 2019 में इस बारे में कई सर्कुलर जारी किए थे। केंद्रीय बैंक को उम्मीद थी कि बैंक चरणबद्ध तरीके से अपने एटीएम अपग्रेड करेंगे। अधिकांश एटीएम अब भी पुराने ढर्रे पर चल रहे हैं, इसलिए बैंकिंग नियामक ने उन्हें अपने एटीएम अपग्रेड करने को कहा है। एटीएम बिजनस नहीं रहा आकर्षक एक बैंकर ने कहा, 'हम इस बारे में एटीएम प्रोवाइडरों से बात कर रहे हैं। अभी वे इस लागत को वहन कर रहे हैं। हमें आरबीआई की तरफ से पत्र मिला है कि इस प्रक्रिया में तेजी लाई जाए और अब इसे प्राथमिकता के आधार पर किया जा रहा है।' इस बारे में आरबीआई को भेजे सवालों का कोई जवाब नहीं आया। अलबत्ता कुछ बैंकों का कहना है कि अधिकांश बैंकों के लिए एटीएम बिजनस बहुत आकर्षक नहीं रह गया है। इसकी वजह यह है कि इसकी लागत लगातार बढ़ती जा रही है जबकि राजस्व नहीं बढ़ रहा है। इस बारे में आरबीआई ने इंडियन बैंक्स एसोसिएशन के चीफ वी जी कन्नन की अध्यक्षता में एक समिति गठित की थी। इस समिति ने इस साल की शुरुआत में अपनी सिफारिशें केंद्रीय बैंक को सौंपी थीं। समिति ने भी इन दिक्कतों का जिक्र किया है। क्या है समिति की सिफारिश समिति की रिपोर्ट को ईटी ने देखा है। इसमें कहा गया है कि अगर कैसेट स्वैप मॉडल को अनिवार्य बनाया गया तो इससे लागत बढ़ेगी और इंटरचेंज तथा कस्टमर फीस में अप्रत्यक्ष रूप से 15 फीसदी की बढ़ोतरी होगी। आरबीआई के अनुमानों के मुताबिक एटीएम कैसेट बदलने में 150 करोड़ रुपये का खर्च आ सकता है। लेकिन बैंकिंग इंडस्ट्री ने समिति को बताया कि इसमें 3000 करोड़ रुपये का खर्चा होगा। समिति ने इंटरचेंज रेट में आबादी के मुताबिक प्राइसिंग मैकेनिज्म शुरू करने का सुझाव दिया है। 10 लाख से अधिक आबादी वाले शहरों में इसे 18 रुपये किया जा सकता है जबकि बाकी शहरों में 17 रुपये। अभी इसके लिए 15 रुपये तय हैं। इस बीच एटीएम ऑपरेटरों का कहना है कि एटीएम में कुछ प्रोसेस को अपग्रेड करने के लिए बैंक उनसे संपर्क साध रहे हैं। एचडीएफसी बैंक और एक्सिस बैंक जैसे कुछ बैंकों ने एटीएम में ई-सर्विलांस को अपग्रेड किया है जबकि फेडरल बैंक, यूको बैंक, पंजाब एंड सिंध बैंक, जे एंड के बैंक और कॉस्मॉस बैंक अपग्रेड के प्रोसेस में हैं।


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