आईएलएंडएफएस मामले में ऑडिटर पर 7 साल तक का बैन, 25 लाख रुपये का जुर्माना

नई दिल्ली नेशनल फाइनेंशियल रिपोर्टिंग अथॉरिटी (एनएफआरए) ने आईएलएंडएफएस फाइनेंशियल सविर्सिज लिमिटेड (आईएफआईएन) के ऑडिट में की गई कथित गड़बड़ियों के मामले में उदयन सेन पर सात साल के लिए ऑडिट की रोक और 25 लाख रुपये का जुर्माना लगाया है। हालांकि, यह निर्देश दिल्ली उच्च न्यायालय के आदेश के चलते 31 जुलाई तक प्रभावी नहीं होगा। सेन को डेलॉयट हस्किंस एंड सेल्स एलएलपी (डीएचएस) ने एक भागीदार के तौर पर अपने साथ जोड़ा था। आईएफआईएन की 2017-18 वित्त वर्ष की सांविधिक लेखा परीक्षा (ऑडिट) इसी ऑडिट सेवा कंपनी ने की थी। आईएफआईएन विविध कारोबार करने वाले आईएलएंडएफएस समूह का हिस्सा है जिसके अंदर 2018 के अंत में बड़े वित्तीय संकट/गड़बड़ियों का भेद सामने आया। न्यायालय के 26 जून के आदेश का हवाला देते हुए एनएफआरए ने सेन पर पाबंदी के आदेश में कहा कि उसका आदेश 31 जुलाई तक प्रभाव में नहीं आएगा। न्यायालय द्वारा मामले की 31 जुलाई को सुनवाई करने की उम्मीद है। सेन ने फरवरी में मामले में एनएफआरए के अधिकार क्षेत्र को चुनौती देते हुए अदालत का रुख किया था। एनएफआरए ने सेन पर 25 लाख रुपये का जुर्माना लगाया है। इसके साथ ही सेन को कहीं ऑडिटर के तौर पर नियुक्त किए जाने पर सात साल के लिए रोक लगा दी है। फैसले पर कंपनी ने जताई हैरानी एनएफआरए ने 88 पन्ने के आदेश में इस बात को नोट किया है कि जब कोई चार्टर्ड एकाउंटेंट कंपनी के प्रबंधन के साथ मिलकर कंपनी लेखा जोखा की रिपोर्ट के साथ धोखाधड़ी या गलत बयानी का भागीदार बनता है तो उसका इस तरह का पेशेवराना दुर्व्यवहार काफी गंभीर हो जाता है। डेलॉयट के प्रवक्ता ने कहा कि एक पेशेवर लेखा कंपनी के तौर पर हम इस बात को लेकर आश्चर्यचकित और चिंतित हैं कि एनएफआरए ने कंपनी के एक पूर्व भागीदार के खिलाफ जारी आदेश को सार्वजनिक करने और जारी करने का फैसला किया। प्रवक्ता ने कहा कि यह भी तब किया गया कि एनएफआरए के अधिकार क्षेत्र के सवाल को लेकर मामला अदालत में लंबित है और इस पर दिल्ली उच्च न्यायालय को निर्णय देना है। डेलॉयट इंडिया के पूर्व सीईओ सेन इस साल के शुरू में डेलॉयट से सेवानिवृत हुए हैं। एनएफआरए ने पिछले साल दिसंबर में कहा था कि डीएचएस, आईएफआईएन के सांविधिक लेखा परीक्षा के मामले में ऑडिटिंग मानकों को पूरा करने में असफल रही है। एनएफआरए की स्थापना 2018 में हुई थी और यह कॉरपोरेट कार्य मंत्रालय के अधीन आता है।


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