आपसी लड़ाई में हो जाएगा खत्म गुरुदेव के दौर में शुरू हुआ 120 साल पुराना मेला

नई दिल्ली गुरुदेव रवींद्रनाथ टैगोर के दौर में शुरू हुआ विश्व भारती विश्वविद्यालय (Visva Bharati University) का मशहूर पौष मेला आपसी कलह की भेंट चढ़ गया है। यह मेला हर साल दिसंबर में तीन-चार दिनों तक चलता था और इसमें दो लाख से अधिक लोग आते थे। स्थानीय कारीगरों (local artisans) के लिए पौष मेला जीवनदायिनी की तरह आता था। वे साल भर सामान बनाते थे और उसे मेले में बेचते थे। इस तरह यह मेला सीधे तौर से स्थानीय लोगों के कारोबार से जुड़ा था। 120 साल के इतिहास में यह मेला केवल दो बार बाधित हुआ था। 1943 में अकाल के कारण इसका आयोजन नहीं हुआ था जबकि 1945 में द्वितीय विश्य युद्ध के कारण इसे स्थगित किया गया था। लेकिन हाल फिलहाल इस मेले को कई तरह की समस्याओं के सामना करना पड़ रहा था। इस पर नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) के आदेशों की धज्जियां उड़ाने के आरोप लगे और पश्चिम बंगाल प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने जुर्माना भी लगाया। इतना ही नहीं कथित उत्पीडन को लेकर पुलिस में कई शिकायतें भी की गईं। मेला बंद करने का फैसला इसके मद्देनजर इस केंद्रीय विश्वविद्यालय के एग्जीक्यूटिव काउंसिल (ईसी) ने इस मेले को बंद करने का फैसला किया है। शुक्रवार को हुई काउंसिल के बैठक में साथ ही बसंत उत्सव को भी होली के इतर किसी अन्य दिन आयोजित करने का फैसला किया। इसकी शुरुआत भी गुरुदेव ने की थी। लेकिन काउंसिल का कहना है कि अगर इसे होली के दिन आयोजित किया जाता है तो फिर भीड़ को संभालना मुश्किल हो जाएगा। ईसी के सूत्रों के मुताबिक मेले के कारण विश्वविद्यालय कई तरह के कानूनी पचड़ों में फंसा है और उसे लाखों रुपये खर्च करने पड़ रहे हैं। साथ ही विश्वविद्यालय की रैंकिंग भी गिरी है। उसे केवल बी+ एनएएसी ग्रेडिंग हासिल है। एनआईआरएफ की 2020 रैंकिंग में विश्वविद्यालय 37वें से फिसलकर 50वें स्थान पर पहुंच गया है। पीएमओ को भेजी जानकारी विश्वविद्यालय ने मेले से कारण हो रही परेशानियों के बारे में केंद्रीय मानव संसाधन मंत्रालय और प्रधानमंत्री कार्यालय को जानकारी दी है। पिछले साल मेला खत्म होने के बाद एनजीटी के आदेश पर जब युनिवर्सिटी प्रशासन ने दुकानें हटाने का प्रयास किया तो कुछ दुकानदारों ने इसका विरोध किया। इससे वहां झड़प हो गई। इसके खिलाफ पुलिस में शिकायत की गई थी। केंद्रीय मानव संसाधन मंत्रालय के एक अधिकारी ने कहा कि विश्वविद्यालय ने पीएमओ को बताया गया है कि उसके कुछ अधिकारियों को पुलिस ने पूछताछ के लिए बुलाया था। यह पूछताछ पिछले साल की घटना के बारे में गई थी। युनिवर्सिटी के अधिकारियों के खिलाफ पर यौन उत्पीडन की शिकायत की गई थी। इनमें युनिवर्सिटी के वाइस चांसलर भी शामिल थे। एनजीटी की प्रतिकूल टिप्पणियां इस साल 7 जनवरी को पश्चिम बंगाल प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने युनिवर्सिटी को एक नोटिस भेजकर कहा था कि एनजीटी का आदेश का उल्लंघन करने पर युनिवर्सिटी पर 10 लाख रुपये का जुर्माना क्यों न लगाया जाए। एनजीटी ने पिछले तीन साल में पौष मेले पर कई प्रतिकूल टिप्पणियां की हैं। उसका कहना है कि मेले का मूल स्वरूप खो गया है और अब यह केवल कमर्शियल इवेंट बनकर रह गया है।


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