बेहाल मजदूर बार-बार पूछ रहे खाते में पैसों का हाल, सिस्टम चोक

सुरभि अग्रवाल/अश्विन मनिकानंदन कोरोनावायरस से उपजे संकट के बीच दैनिक मजदूरी के सहारे गुजर-बसर करने वालों और कृषि मजदूरों की ओर से बैंकों से अपने खाते के बारे में पूछताछ अचानक बढ़ गई है। वे यह जानने के लिए परेशान हैं कि सरकार से मिला भुगतान उनके खातों में पहुंचा है या नहीं। बैंकर्स और पेमेंट ऑपरेटरों का कहना है कि इस अप्रत्याशित लोड से डिजिटल चैनल जाम हो रहे हैं। डिजिटल चैनलों पर नजर रखने वाले लोगों ने ईटी को बताया कि आधार इनेबल्ड पेमेंट सिस्टम (AePS) के इस्तेमाल से होने वाले ट्रांजैक्शन के फेल होने की दर काफी ऊंची (करीब 40 से 45 पर्सेंट के बीच) है और इसके चलते भी बैंकों को काफी अधिक क्रेडिट रिवर्सल देखने को मिल रहा है। CSC ई-गवर्नेंस सर्विसेज के सीईओ दिनेश त्यागी ने ईटी को बताया, 'सरकार बहुत से लोगों के खातों में सीधे पैसे ट्रांसफर कर रही है। ऐसे में यह सामान्य प्रवृत्ति है कि लोग बैलेंस चेक करने के लिए पूछताछ करेंगे। करीब 40 पर्सेंट ट्रांजैक्शन फेल हो रहे हैं। इसके चलते भी लोग बार-बार बैलेंस चेक कर रहे हैं।' देश में 3,70,000 से अधिक डिजिटल किऑस्क हैं, जिन्हें कॉमन सर्विस सेंटर (CSC) कहा जाता है। ग्रामीण इलाकों में खासतौर से इनकी उपस्थिति है। इनमें से करीब 25,000 CSC पीएम किसान और उज्ज्वला स्कीम के तहत खाते में सीधे ट्रांसफर की गई सब्सिडी को निकालने की सुविधा देते हैं। दिनेश त्यागी ने बताया, 'पिछले दो हफ्तों से हमने बैलेंस चेक करने के अनुरोधों को लेने से मना कर दिया है क्योंकि इससे हमारा सिस्टम डाउन हो जाता था और बाकी सेवाओं में रुकावट आती थी।' उन्होंने अनुमान जताया कि CSC पर बैलेंस चेक करने के लिए रोजाना 5 लाख और निकासी के लिए 1 लाख से ज्यादा अनुरोध मिल रहे थे। AePS प्लैटफॉर्म को विभिन्न सब्सिडी की राशि को लोगों के खाते में सीधे ट्रांसफर करने के लिए विकसित किया गया था। इस प्लैटफॉर्म को नेशनल पेमेंट्स कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया (NPCI) चलाती है। CSC ने अब NPCI को लेटर लिखकर बैलेंस चेक करने के लिए आने वाले प्रत्येक अनुरोध पर 5 रुपये शुल्क लगाने के लिए कहा है।


from Latest Business News in Hindi - बिज़नेस खबर, बिज़नेस समाचार, व्यवसाय न्यूज हिंदी में | Navbharat Times https://bit.ly/35jB7qt
Previous Post
Next Post
Related Posts