कृतिका सुनेजा & करुणजीत सिंह, नई दिल्ली भारतीय अर्थव्यवस्था के इस वित्त वर्ष की पहली तिमाही में 6 प्रतिशत से कम ग्रोथ करने के आसार हैं। इसी दौरान 6.2 प्रतिशत की चीनी की ग्रोथ से यह कम रह सकती है। ET के एक सर्वे में ऐसी राय सामने आई है। 11 स्वतंत्र अर्थशास्त्रियों की राय इस सर्वे में ली गई। इस सर्वे के मुताबिक, कमजोर इंडस्ट्रियल ग्रोथ, कम निवेश, चुनाव से पहले सरकार की ओर से कम खर्च के साथ प्रतिकूल बेस इफेक्ट के कारण अप्रैल-जून के बीच ग्रॉस डोमेस्टिक प्रॉडक्ट (GDP) की ग्रोथ 5.2-6% रही होगी। इससे पिछली तिमाही में यह 5.8% थी। 2018-19 की पहली तिमाही में ग्रोथ 8% थी। यस बैंक की चीफ इकनॉमिस्ट शुभदा राव ने कहा, 'सुस्ती का दायरा बढ़ने के कारण हमारा अनुमान यही है कि तिमाही दर तिमाही आधार पर जीडीपी ग्रोथ कम रह सकती है। कंजम्पशन में सुस्ती दिख ही रही है, वहीं चुनाव से पहले निवेश में भी कमी रही होगी।' इस वित्त वर्ष की पहली तिमाही में इंडस्ट्रियल प्रॉडक्शन भी 3.6 प्रतिशत ही बढ़ा, जिसकी ग्रोथ सालभर पहले 5.1% थी। ऑटोमोबाइल सेल्स, रेल फ्रेट, डोमेस्टिक एयर ट्रैफिक और इंपोर्ट (नॉन-ऑयल, नॉन-गोल्ड, नॉन-सिल्वर और नॉन-प्रेशस मेटल्स) के आकड़े कंजम्पशन में सुस्ती दिखा रहे हैं। जुलाई में पैसेंजर वीइकल्स सेल्स में 31 प्रतिशत गिरावट रही। यह पिछले 19 वर्षों की सबसे खराब हालत रही। इस बिक्री में लगातार नौवें महीने गिरावट दर्ज की गई। एचडीएफसी बैंक का अनुमान है कि पहले क्वॉर्टर में ग्रोथ 5.2% रहेगी और पूरे वित्त वर्ष में यह 6.7% रहेगी। देश के इकनॉमिक सर्वे में अनुमान लगाया गया था कि वित्त वर्ष 2020 में जीडीपी ग्रोथ 7 प्रतिशत होगी, जो वित्त वर्ष 2019 के लिए 6.8 प्रतिशत के आंकड़े के साथ पांच साल के निचले स्तर पर थी। 2018 में भारत एक दर्जा नीचे आकर दुनिया की सातवीं बड़ी इकॉनमी के पायदान पर आ गया। ऐक्सिस बैंक के चीफ इकनॉमिस्ट सौगत भट्टाचार्य ने कहा, 'लगातार चल रही सुस्ती का कारण मैन्युफैक्चरिंग सेगमेंट में बहुत ज्यादा कमजोरी है। साथ ही, कंस्ट्रक्शन सेक्टर में दिक्कत का भी असर पड़ रहा है। इसके अलावा पहली तिमाही के शुरुआती दिनों में सरकार का खर्च भी काफी कम था।' आरबीआई ने इस कैलेंडर इयर में चार बार में रीपो रेट 110 बेसिस पॉइंट्स घटाया है, लेकिन अर्थशास्त्रियों को इसके चलते ग्रोथ को जल्द सपॉर्ट मिलने की स्थिति नहीं दिख रही है। इंडिया रेटिंग्स ऐंड रिसर्च के प्रिंसिपल इकनॉमिस्ट सुनील कुमार सिन्हा ने कहा, 'चौथे क्वॉर्टर में मोमेंटम कमजोर पड़ा और उसका असर पहले क्वॉर्टर में आ गया। प्रतिकूल बेस इफेक्ट भी काम कर रहा है। सरकारी खर्च से जिस तरह की मदद की उम्मीद थी, वैसा हो नहीं रहा है। कंजम्पशन डिमांड पर दबाव है। फेस्टिव सीजन भी फीका रह सकता है।'सेंट्रल स्टैटिस्टिक्स ऑफिस जून तिमाही के लिए ग्रोथ के आधिकारिक अनुमान 30 अगस्त को जारी करेगा।
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