फ्लाइट्स शुरू होने की अडवांस सूचना मिलेगी, 10 दिन पहले बताएगी सरकार!

मिहिर मिश्रा/अनिर्बान चौधरी, नई दिल्ली/मुंबई एयरलाइन कंपनियों और यात्रियों को उड़ान सेवा शुरू होने के करीब 10 दिनों पहले इसकी सूचना दी जा सकती है। सरकारी सूत्रों ने ईटी को यह जानकारी दी। एक सूत्र ने बताया कि सेवाएं जून के शुरुआती हफ्ते में फिर से शुरू हो सकती हैं। 10 दिन पहले से बुकिंग करने की इजाजत! कोरोनावायरस का प्रसार रोकने के लिए सरकार ने 25 मार्च को सभी कमर्शल उड़ान सेवाएं रोकने का ऐलान किया था। एविएशन मिनिस्ट्री के सीनियर अधिकारी ने बताया, 'उड़ान सेवाएं शुरू करना इस पर निर्भर करेगा कि देश में कोरोनावायरस के संक्रमित मरीजों की संख्या कितनी है। हालांकि जून के पहले हफ्ते से इसके शुरू होने की उम्मीद की जा रही है।' उन्होंने बताया, 'हमारी योजना एयरलाइंस को ऑपरेशन शुरू होने के 10 दिन पहले से बुकिंग करने की इजाजत देने की है।' घरेलू उड़ानों तक सीमित प्लान! यह योजना सिर्फ घरेलू उड़ान सेवा तक सीमित है और इंटरनैशनल सेवाएं शुरू करने को लेकर फिलहाल कोई चर्चा नहीं हुई है। लॉकडाउन का मौजूदा चरण 3 मई को खत्म हो रहा है और सरकार ने अभी तक लॉकडाउन के अगले चरण या इसमें किसी तरह की ढील देने को लेकर कोई फैसला नहीं किया है। लॉकडाउन लागू होने के पहले भारतीय एयरलाइन कंपनियों के पास कुल 650 विमान थे। इनमें से करीब 25 विमानों का इस्तेमाल विभिन्न एयरलाइन कंपनियों की ओर से कॉर्गो ऑपरेशन में हो रहा है। 10 दिन का वक्त काफी? सरकार का मानना है कि एयरलाइन को दोबारा बुकिंग शुरू करने के लिए 10 दिन पहले सूचना देना पर्याप्त होगा। हालांकि इंडस्ट्री एग्जिक्यूटिव्स इस पर एकमत नहीं थे कि क्या यह उन्हें अपने नेटवर्क को एक साथ लाने, बेड़े को तैनात करने, सुरक्षा से जुड़े निर्देशों को लागू करने और पर्याप्त बुकिंग हासिल करने के लिए पर्याप्त समय देगा। फंसे हैं लोग, मांग काफी ज्यादा रहने के आसार इस मामले से वाकिफ एक शख्स ने बताया, 'एयरलाइंस को इस पूरी योजना के लिए कम से कम 15 दिन चाहिए।' वहीं कई का कहना है कि लॉकडाउन के चलते विभिन्न लोकेशंस पर लोग फंसे हुए हैं, ऐसे में पेंट-अप डिमांड (मांग में भारी बढ़ोतरी) देखने को मिल सकती है। हालांकि यह कुछ ही समय के लिए होगा और भविष्य का आउटलुक कमजोर हो सकता है। एक एयरलाइन के एग्जिक्यूटिव ने बताया, '10 दिन की अवधि में हमें पहले तीन-चार दिन काफी बुकिंग देखने को मिल सकती है, क्योंकि मेट्रो शहरों में भारी संख्या में लोग फंसे हुए हैं। हालांकि इसके बाद मांग धराशायी हो जाएगी।'


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