ऑटो सेक्टर को 1 लाख करोड़ की चपत देगी तालाबंदी, सरकार को भी होगा बड़ा नुकसान

केतन ठक्कर, आशुतोष आर श्याम/ मुंबई कोरोना वायरस को रोकने के लिए किए गए लॉकडाउन में ऑटो सेक्टर (Auto Sector) की रीढ़ टूट गई है।ऑटो इंडस्ट्री को 45 दिनों तक फैक्ट्रियों को बंद रखने के चलते 1 लाख करोड़ रुपये से अधिक की आमदनी का नुकसान होगा और इससे देश के () में 0.5 पर्सेंट की कमी आएगी। कोरोना वायरस का प्रसार रोकने के लिए 25 मार्च से 3 मई तक लॉकडाउन लागू है। इस दौरान 40 दिनों तक फैक्ट्रियां बंद रहेंगी। में जबर्दस्त गिरावट देश के अधिकतर ऑटो प्लांट्स 20 मार्च से बंद हैं। उत्पादन शून्य होने का यह भी मतलब है कि सरकार के गुड्स ऐंड सर्विसेज टैक्स (GST) कलेक्शन में इस दौरान 28,000 करोड़ रुपये से अधिक की कमी आएगी। इसके अलावा, विभिन्न स्टेट टैक्स के तहत 14,000 करोड़ रुपये का नुकसान होगा। ये बातें ईटी इंटेलिजेंस ग्रुप की एक एनालिसिस में सामने आई हैं। पढ़ें : कुछ प्लांट को काम की इजाजत सरकार ने कुछ प्लांट्स को कामकाज शुरू करने की इजाजत दी है। हालांकि, ऑटो कंपनियों का मानना है कि इसके कुछ राहत नहीं मिलेगी, क्योंकि वेंडर सप्लाई के बारे में अनिश्चितता बनी हुई है, शोरूम बंद हैं, इनवेंट्री बढ़ती जा रही है और कोई भी इस वक्त कार नहीं खरीद रहा है। 3 मई के बाद क्या होगा, इसे लेकर भी कोई स्पष्टता नहीं है। ऑटो कंपनियां चाहती हैं कि लॉकडाउन खत्म होने के बाद पर्याप्त सुरक्षा उपायों के साथ उनके इकोसिस्टम के सभी सेगमेंट को कारोबार करने की छूट दी जाए। रिकवरी होना संभव नहीं एक्सपर्ट्स का कहना है कि ऑटो कंपनियां इस वैश्विक महामारी के पहले ही अपने सबसे बुरे साल से गुजर रही थीं। ऐसे में हाथ से गई आमदनी की रिकवरी होना संभव नहीं दिखता है। सरकार को लगेगा करारा झटका करीब दो-तिहाई राजस्व का नुकसान नई गाड़ियों पर लगने वाले जीएसटी के रूप में होगा और इसके बाद रजिस्ट्रेशन टैक्स और इंश्योरेंस पर लगने वाला जीएसटी का स्थान होगा। ट्रैवल पर लगी बंदिशों के चलते फ्यूल से मिलने वाले एक्साइज ड्यूटी में भी गिरावट आई है। इसके चलते राज्यों के राजस्व में ऐसे समय में कमी आई है, जब उन्हें वैश्विक महामारी से लड़ने के लिए इसकी सबसे अधिक जरूरत थी। पेट्रोल और डीजल की कीमतों में क्रमश: 59% और 48% टैक्स शामिल है। आगे में कोई राहत नहीं केंद्र सरकार के कुल जीएसटी कलेक्शन में करीब 15 पर्सेंट हिस्सा ऑटो सेक्टर का है। राज्यों के टैक्स कलेक्शन में नई गाड़ियों पर लगने वाले रजिस्ट्रेशन टैक्स का 5-7 पर्सेंट योगदान होता है। शटडाउन जितना लंबा खिंचेगा, प्रॉडक्शन में उतनी ही धीमी रिकवरी की आशंका है। कई एग्जिक्युटिव को जून तिमाही की बिक्री में सालाना आधार पर 50 पर्सेंट से अधिक की गिरावट का डर है।


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