कोरोनावायरस से होगा 4% GDP का पर्मानेंट लॉस, अगले 3 साल हर बार हो पाएगी 8.5% ग्रोथ?

नई दिल्ली कोविड-19 का संक्रमण फैलने और उस पर रोकथाम के लिए देशभर में लॉकडाउन किए जाने से देशभर में ठप हुई आर्थिक गतिविधियों से 4% जीडीपी यानी नौ लाख करोड़ रुपये का परमानेंट लॉस हो सकता है, यह बात रेटिंग एजेंसी क्रिसिल ने कही है। इस फुल सर्विस ग्लोबल रेटिंग्स एजेंसी के चीफ इकनॉमिस्ट डीके जोशी ने कहा कि इस लॉस की भरपाई अगले तीनों फाइनैंशल इयर में हर साल 8.5% जीडीपी की ग्रोथ हासिल होने से ही मुमकिन है। जोशी ने गुरुवार को भारतीय अर्थव्यवस्था पर कोविड 19 के असर को लेकर हुए टेलिकॉन्फ्रेंस में कहा, 'अगर इंडियन इकॉनमी FY22 से अगले तीन साल तक 7% की जीडीपी ग्रोथ हासिल करती भी है तो भी हमें नहीं लगता कि वह ग्रोथ की नॉर्मल ट्रेंडलाइन पर चल पाएगी क्योंकि चोट करारी है और सरकार की तरफ से इकॉनमी को सपोर्ट करने की क्षमता भी सीमित है।' जोशी ने कहा कि इस नुकसान की भरपाई में असाधारण परिस्थितियां और नीतिगत मोर्चे पर उठाए गए कदम मददगार होंगे। उन्होंने कहा, 'लय में आने के लिए FY2022 से FY2024 के बीच भारतीय अर्थव्यवस्था को 8.5% सालाना की असाधारण जीडीपी ग्रोथ की जरूरत होगी। इससे जीडीपी लॉस की भरपाई हो जाएगी। लेकिन इसके लिए असाधारण परिस्थितियों और नीतिगत उपायों की जरूरत होगी।' जोशी ने कहा कि सरकारी खजाने से किए जा रहे उपाय पूरे नहीं पड़ेंगे। उन्होंने राहत पैकेज के बारे में कहा कि सरकार तलहटी में पड़े पत्थरों को छूकर नदी पार करने की कोशिश कर रही है। उन्होंने कहा कि सरकार राहत पैकेज के लिए अपने खजाने से धीरे-धीरे 3.5 लाख करोड़ रुपये तक की रकम निकालेगी। एसऐंडपी ग्लोबल रेटिंग्स ने FY21 के लिए इंडिया की जीडीपी ग्रोथ के अनुमान को घटाकर 1.8% कर दिया है। उसने मार्च में इंडिया की जीडीपी ग्रोथ इस वित्त वर्ष में 3.5% रहने का अनुमान दिया था। एसऐंडपी के मुताबिक अगले फिस्कल इयर में जीडीपी ग्रोथ तेज रिकवरी के साथ 7.5% पर पहुंच सकती है। हालांकि कॉन्फ्रेंस का हिस्सा रहे एसऐंडपी के चीफ एशिया पैसेफिक इकनॉमिस्ट शॉन रोश ने कहा कि ऊंचे रिकवरी रेट को लेकर कोई उम्मीद नहीं पालनी चाहिए। रोश ने कहा, 'लो बेस की वजह से रिकवरी रेट बहुत ऊंचा नजर आ सकता है क्योंकि इकनॉमी को करारी चोट लगी है। इसलिए हम रिकवरी की उम्मीद कर सकते हैं लेकिन ऐक्टिविटी लेवल सामान्य से नीचे रहेगा क्योंकि इकॉनमी को करारी चोट लगी है।' ग्लोबल रेटिंग्स एजेंसी क्रिसिल के मुताबिक 2020 में जीडीपी ग्रोथ नेगेटिव में 2.3% रह सकती है और ज्यादातर देशों की इकॉनमी के 2022 से पहले सामान्य स्थिति में आने की संभावना नहीं है।


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