नकदी की तंगी से शराब कारोबार का जोश ठंडा

सागर मालवीय, मुंबईजाम के इंतजाम से जुड़ी कंपनी अगर ट्रेड में लिक्विडिटी की कमी का सामना करे तो कारोबारी माहौल खराब होने का इशारा मिलता है। देश की सबसे बड़ी शराब कंपनी यूनाइटेड स्पिरिट्स (USL) ने पिछले सप्ताह इनवेस्टर्स को बताया कि नकदी की भारी कमी का सामना कर रहे शराब ट्रेड में उधार फंसने की आशंका से वह बहुत अधिक बिक्री नहीं कर रही है। जॉनी वॉकर और मैकडॉवेल जैसे ब्रैंड्स की मालिक यूनाइटेड स्पिरिट्स को डर है कि ट्रेडर्स उसके प्रॉडक्ट्स का स्टॉक जमा कर लेंगे लेकिन इसके लिए पेमेंट करने में उन्हें परेशानी होगी। इससे कंपनी को नुकसान हो सकता है। USL के मैनेजिंग डायरेक्टर आनंद कृपालु ने बताया, 'मार्केट वास्तव में लिक्विडिटी को लेकर मुश्किलों का सामना कर रहा है। अगर आप सप्लाई करेंगे तो ट्रेडर्स स्टॉक रख लेंगे, लेकिन इससे आपकी उधारी बढ़ जाएगी। ऐसा नहीं है कि हमने सप्लाई बंद कर दी है। हम केवल अधिक बिक्री करने को लेकर सतर्कता बरत रहे हैं। मार्केट में कुछ राइवल कंपनियों ने उधार बढ़ाने का फैसला किया है। हम ऐसा नहीं करेंगे। हम डूबी हुई रकम के लिए प्रोविजन नहीं रखते क्योंकि आप ट्रेडर्स को बिक्री करते हैं और उसके बाद पेमेंट लेने में आपको मुश्किल होती है।' आर्थिक मंदी के कारण शराब ट्रेड की मुश्किलें FMCG सेक्टर जैसी हैं। देश की सबसे बड़ी कंज्यूमर गुड्स कंपनी हिंदुस्तान यूनिलीवर ने पिछले महीने बताया था कि वह लिक्विडिटी की भारी कमी का सामना कर रही है। डियाजियो के कंट्रोल वाली USL की सितंबर में समाप्त हुए क्वॉर्टर में वॉल्यूम ग्रोथ वर्ष-दर-वर्ष आधार पर केवल 1 पर्सेंट की थी। इसका कारण डिमांड में कमी के साथ ही लिक्विडिटी से जुड़े मसले थे। पिछले वर्ष के इसी क्वॉर्टर में कंपनी की वॉल्यूम ग्रोथ 10 पर्सेंट से अधिक थी। सितंबर में समाप्त हुए नौ महीनों में शराब मार्केट की ग्रोथ 2-3 पर्सेंट की रही। शराब कंपनियों का कहना है कि मंदी के साथ ही कुछ राज्यों में बाढ़ और टैक्स में बढ़ोतरी का असर बिक्री पर पड़ा है। सितंबर क्वॉर्टर में देश में बनी फॉरेन लिकर की सेल्स वॉल्यूम वर्ष-दर-वर्ष आधार पर 1.4 पर्सेंट बढ़ी थी। व्हिस्की और ब्रांडी की ग्रोथ कम रही थी, वोडका और जिन सेगमेंट में ग्रोथ घटी थी। एनालिस्ट्स का कहना है कि मौजूदा वित्त वर्ष के बाकी महीनों में भी शराब की बिक्री कमजोर रह सकती है। इडलवाइज रिसर्च के एग्जिक्यूटिव वाइस प्रेसिडेंट (इंस्टीट्यूशनल इक्विटीज) अबनीश रॉय ने बताया, 'स्पिरिट्स जरूरी खर्च में शामिल नहीं है। आने वाली तिमाहियों में इसकी वॉल्यूम घट सकती है। हालांकि, वॉल्यूम में कमी ऑटोमोबाइल सेक्टर की तरह बहुत अधिक नहीं होगी।'


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