कंपनियों को क्या-क्या दे सकती है सरकार, ताकि बचा रहे आपका जॉब?

योगिमा शर्मा, नई दिल्ली सरकार कंपनियों को राहत देने के कई उपायों पर विचार कर रही है, जिनसे उन्हें छंटनी न करनी पड़े। सरकार यह इंतजाम कर सकती है कि कंपनियों को कर्मचारियों का बोनस रोकने और मिनिमम वेज में अनिवार्य रूप से होने वाली बढ़ोतरी न करने, ओवरटाइम पेमेंट रेट में कमी करने और कामकाज की अवधि बढ़ाने की छूट मिल जाए। ताकि घट जाए एंप्लॉयमेंट कॉस्ट एक सरकारी अधिकारी ने ईटी को बताया कि ये बदलाव नोटिफिकेशन या अमेंडमेंट्स के जरिए किए जा सकते हैं। उन्होंने बताया कि कोविड-19 महामारी से उपजे आर्थिक संकट से निपटने के लिए ये बदलाव सालभर लागू रह सकते हैं। अधिकारी ने कहा, 'इससे केंद्र सरकार पर कोई अतिरिक्त वित्तीय बोझ नहीं आएगा, लेकिन एंप्लॉयर्स के लिए एंप्लॉयमेंट कॉस्ट घट जाएगी।' इंक्रीमेंट टाल दिया जाए तो पैसा बचेगा पेमेंट ऑफ बोनस ऐक्ट 1965 कहता है कि कुछ श्रेणियों के प्रतिष्ठानों के कर्मचारियों को मुनाफे या उत्पादन या उत्पादकता के आधार पर सालाना 8.33 प्रतिशत की दर से बोनस दिया जाना चाहिए। इसके अलावा कंज्यूमर प्राइस इंडेक्स के आधार पर वर्कर्स के मिनिमम वेज का रिवीजन 8-12 प्रतिशत सालाना की दर से होता है। सरकार का मानना है कि अगर यह इंक्रीमेंट टाल दिया जाए तो इससे एंप्लॉयर्स के पास यह पैसा बचेगा। जॉब्स बचाने में मिलेगी मदद ये बदलाव ऑर्गनाइज्ड सेक्टर की फर्मों पर लागू होंगे, जिनमें देश की 50 करोड़ की वर्कफोर्स का बमुश्किल 10 प्रतिशत हिस्सा काम करता है, लेकिन इससे खासतौर से माइक्रो, स्मॉल ऐंड मीडियम एंटरप्राइजेज को काफी बचत हो जाएगी। इंडियन स्टाफिंग फेडरेशन के प्रेसिडेंट लोहित भाटिया ने कहा, 'कानूनों में मामूली बदलाव से यह सकारात्मक संकेत जा सकता है कि सरकार को एंप्लॉयर्स की फिक्र है। इससे काफी जॉब्स बचाने में मदद मिल सकती है।' 12 घंटे की होगी ड्यूटी! मौजूदा फैक्ट्री ऐक्ट के तहत आठ-नौ घंटे की शिफ्ट हो सकती है और काम के हर अतिरिक्त घंटे के लिए डबल वेज पेमेंट होना चाहिए। एक अन्य अधिकारी ने कहा, 'हालांकि सरकार कामकाज की अवधि बढ़ाकर 12 घंटे करने पर विचार कर रही है और इस अवधि का वेतन भी डबल के बजाय सामान्य वेज रेट पर दिया जाएगा। यह व्यवस्था मौजूदा वित्त वर्ष के लिए की जा सकती है।' उन्होंने कहा, 'इससे कम वर्कफोर्स के साथ कारखाने चल पाएंगे और साथ ही एंप्लॉयर पर अतिरिक्त लागत का बोझ नहीं आएगा।' सरकार के पास नहीं है पैसा कन्फेडरेशन ऑफ इंडियन इंडस्ट्री के सौगत रॉय चौधरी ने कहा, 'सरकार के पास पैसा ही नहीं है। तो वह यह कर सकती है कि सभी संबंधित पक्षों को एकसाथ बुलाए और बीच का कोई रास्ता पकड़ने के लिए राजी करे ताकि सभी लोग थोड़ा-थोड़ा वित्तीय बोझ उठाएं।'


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