इस्लामाबाद पाकिस्तान में राष्ट्रपति आरिफ अलवी ने घोषणा की कि पवित्र महीना रमजान के दौरान देशभर के मस्जिद खुले रहेंगे। इस दौरान तारावीह (शाम की अजान) और जुमे की नमाज के लिए श्रद्धालु एकसाथ जुट पाएंगे। पाक में कोरोना के हर दिन नए मामले सामने आ रहे हैं और 30 अप्रैल तक लॉकडाउन घोषित है, वैसे में राष्ट्रपति के बयान से जाहिर होता है कि किस तरह यहां के राजनीतिज्ञ कट्टरपंथी मौलवियों के आगे कमजोर पड़ गए हैं। दरअसल, इस घोषणा से कुछ देर पहले ही राष्ट्रपति ने देश के मौलवियों से वीडियो कॉन्फ्रेंस के जरिये रमजान के दौरान मस्जिद में जमावड़े को लेकर चर्चा की थी। इसके एक दिन पहले अल्वी ने देश के धार्मिक और राजनीतिक नेताओं से भी इस मसले पर चर्चा की थी। इनमें जमात-ए-इस्लामी के चीफ और सीनेटर सिराजुल हक और जमियत उलेमा-ए-इस्लाम फज्ल के नेता मौलाना फजलुर रहमान शामिल हुए थे। अल्वी ने घोषणा की, ' मस्जिद में जमावड़े के साथ तारावीह और जुमे की नमाज के लिए सशर्त मंजूरी दी गई है।' उन्होंने कहा कि मौलवियों के साथ 20 दिशानिर्देशों पर बात हुई है जिसपर वे सहमत हुए हैं। दिशानिर्देश में इस बात का जिक्र है कि नमाजियों के बीच 6 फुट की दूरी रहेगी। कार्पेट हटा दिए जाएंगे, फर्श पर कीटनाशक का छिड़काव किया जाएगा और नमाजी प्रशासन के साथ सहयोग करेंगे। इमरान खान सरकार ने धार्मिक नेताओं सहित आम लोगों को मस्जिद से दूर रखने की तमाम कोशिश की लेकिन फिर भी लोग लॉकडाउन का उल्लंघन करते हुए मस्जिद पहुंच गए। यहां तक कि लॉकडाउन लागू करने आईं एसएचओ पर कराची के एक मस्जिद के बाहर हमला भी कर दिया गया।
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